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शाखी

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शाखी मत पूछ मेरे सब्र की इन्तहा कहाँ तक है , तू सितम कर ले तेरी ताकत जहाँ तक है , वफ़ा के बदले तो वफ़ा किसी को मिलती नही , मुझे तो ये देखना है कि तू बेवफा कहाँ तक है...............