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मैं और मेरी तन्हाई

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   इस जादुई दुनिया में मैं अक्सर कुछ चमत्कार की चाहत लिए बैठा रहता हूं। पर जब वक्त निकल जाता है तो मालूम लगता है कि जादू के लिए भी कुछ योग करना जरूरी होता है। पर मैं उन लम्हों को फिर से वर्तमान में लाकर कुछ अच्छा नहीं कर सकता। हां भविष्य में कुछ बेहतर कर जाऊं इसके लिए खुद को ही प्रेरित करता हूं। ऐसे में फिर से मैं एक बार और आशाओं के आंगन में बैठ कुछ नया होने का इंतजार करने लगता हूं। मैं कुछ पल नएपन के जोश में आगे भी बढ़ता हूं। पर विश्वास और अप्रत्यक्ष सच का विश्वास मुझे फिर कमजोर कर जाता है और फिर से जब अपने को देखता हूं तो एक असफलता मेरे पास खड़ी मुस्कुराती रहती है। पर मैं आज तक नहीं संभला और ऐसे में सफलता हमेंशा मुझसे संभलकर आंख छुपाए निकल जाती है। और मैं और मेरी तन्हाई एक महफिल एक सफलता के लिए फिर से खड़े हो जाते हैं। एक नए जोश और होश के साथ। यह किसी एक इंसान की भावनाएं नहीं, यह हर आमों खास की बयान गी है। एक बार आंख बंद कर महसूस करें और आप पाएंगे कि आप खुद ही हर असफलता और तन्हाई के लिए जिम्मेदार है(    aditya dev pandey apni baat abhivyakt karte hua.... ...

दोस्तों में ही उस खुदा का चेहरा नजर आता है # aditya dev pandey with frainds

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  आदित्य देव पाण्डेय मैं नहीं जानता कि दुनिया में खुशियों का क्या स्वरूप होता है। पर इतना जरूर जानता हूं कि यह खुशियां दोस्तों का रूप ले हमारे आसपास रहती हैं। और हमारे हर गम का हरण कर हमें खुशियां बांटती हैं। अगर कोई पूछे कि क्या खुदा को आपने कभी देखा है तो मैं बस इतना ही कहता... हां। मुझे अपने दोस्तों में ही उस खुदा का चेहरा नजर आता है। आदित्य देव पांडेय विचारक db city bhopal in aditya dev pandey with fraind aditya dev pandey and vibha in db mall bhopal aditya dev .... vibha baghel... and sunil upadhyay (class mate)