खता...
जिंदगी की परीधी भी नजाने कीतने रंगों से रंगी है , शायद ये बात हम एक जन्म में जान पाये ये मुमकिन नहीं । कहते है समय के साथ भगवान सबको खुशिया देता है पर इस दुनियां में कई जिंदगी ऐसी भी है जिनकी दशा देख ये बाते मित्थया सी प्रतित होती है। कुछ ऐसी ही दशा शायद इस कठोर सुखी आंखों की भी है। अपनी पथरीली आंखों से वह जाने क्या खोज रही है , पर इस खोज बीन के बीच उसकी आंखे उस नन्हें चेहरे पर आ टिकती और नजाने ऐसा क्या महसूस करती है कि एक अदभुत चमक से चमकने लगती है। उसका ये एहसास जाने क्यों मेरे मन को एक नई चेतना और उर्जा से भर दिया। फिर तो मै अपना न रह उस महीला के चरीत्र को महसुस करने पर विवश सा होने लगा। उस भीड़ का जादू मेरे मनोस्थिती से कोसो दूर हो गया मुझे मालुम भी न चला। कुछ ही समय पहले मै अपने दोस्तों के साथ दशहरे की उस भीड़ का दिवाना बन दुनिया के साथ जी रहा था। कितनी चहल पहल थी उस भीड़ में, चारों तरफ लाउडस्पीकरों की कानफाड़ू सोर भरी आवाजे, जो मेरे जैसे युवाओं को झुमने पर मजबूर कर रही थी वहीं फेरी वाले कही चां...