संदेश

जुलाई, 2013 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

प्रेम क्या है?

चित्र
  आदित्य देव पाण्डेय प्रेम एक बौद्धिक चेतना है, जिसे पाने के लिए अनेकों आत्माएं भटक रही हैं। कोई इसे कविताओं में तो कोई इसे कहानियों में खोज रहा है। कोई पर्वतों, नदियों और जंगलों की श्रृंखलाओं में तो कई अन्य मायावी आत्माओं अथवा देह में। हर किसी की अपनी एक परिभाषा है। लेकिन यहां सबकी चाह के आधार पर प्रेम इंद्रीय आकर्षण की परिणति महसूस होती है। मैं भी इससे इतर नहीं सोच पाता। किंतु मेरी परिभाषा कुछ ऐसी है। प्रेम एक आभाषी प्रतिबिम्ब का वास्तवीक स्वरूप है। यह हमारे मनोभाव में अंकुरित हो हृदय का स्पंदन बन जाता। यह आत्म चेतना की वह स्थिति होती है, जिस भाव के लिए हम इस भवसागर में भटक रहे होते हैं। इसकी तरुणाई हमारे आलस्य का विरोधी और खुशियों का प्रणेता होता है। इसकी प्रोढ़ता हमारे मनोबल और नेतृत्व की अंगरक्षक तथा गुरु व्यवहार रूपी ईष्ट होती है। यह दैवीय आभाष का आनन्द देने वाली आत्मीय चेतना हमारे अवगुणों का हरण कर तथा उस सद् से लवरेज कर आत्मा से परमात्मा तक की दूरी को सहजता से खत्म कर अपने अंतिम अवस्था में हमें अमरत्व प्रदान करती है। वास्तव में यह प्रेम अपने अंकुरण की अवस्था से अंतिम घड़ी ...

बुराइयां जरूरी हैं.. part-2

चित्र
sukhna lack par dosto sang adiya dev pandey badla jab jhoome tab chandigadh avash ke upara kuchh aisa najara tha % aditya dev   .  (आगे...) आदित्य देव पांडेय एक बार भगवान शिव को समुंद्र मंथन में प्राप्त हुई बुराई यानी विष को पीना पड़ा और इसी बुराई ने उन्हें निलकंड के तौर पर देवताओं में स्थापित कर दिया और समाज में यह शिक्षा भी दी कि बुराई के वरण से नहीं उसके प्रभाव से दूर रहो। यही नहीं यदि कभी दुनिया बचाने के लिए बुराई को ग्रहण करना पड़े तो भ्रमित होने की आवश्यकता नहीं है। भगवान शिव ने उस बुराई को पूर्ण रूप में अपने में समाहित कर उसके असर को फैलने से रोक दिया। यहां एक बात और है कि यदि वह बुराई न होती तो शायद कहानी कुछ उदास और बोझिल होती। इस बुराई के करीब जाने के बाद ही वह समझ आया कि जिस आत्मा पर बुराइयों का प्रभाव हो जाता है, वह कितना कष्ट झेलती है। शायद यही वजह है कि भगवान शिव दैत्यों के भी भगवान माने जाते हैं। क्योंकि वह जान चुके हैं कि बुराइयां जिसके अंदर होती है, वही इसके दर्द को महसूस कर सकता है, उसे जान व समझ सकता है। वास्तव में बाहरी व्यक्ति तो सिर्फ उ...