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इश्क का आशियाना बना दिया

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मैंने सबको चुना, उसने मुझको चुना  रिश्ते से प्यार मैंने तो उसने प्यार से रिश्ता इश्क  बनके बुना।।  मैंने चाहत की चाहत में जीना सीखा उसने प्यार के पथ पर प्रेम का हमसफर देखा।।  मैंने दुनिया से प्यार खोजा पाया  उसने प्यार को ही मेरी दुनिया में भरा।। मैं अकेला रहा, तन्हा भटकता फिरा  वो आई और मेरे पास ही इश्क का आशियाना बना दिया।।  आपके बेइंतहां प्यार के लिए दिल से इश्क  का बाजार भेजता हूं  फूल, गुलदस्ता, झूला और रोशनी से रोशन दिल भेजता हूं।। 

तूं दुर्गा, लक्ष्‍मी, सती, चंडी, कोई देवी न बन

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तूं दुर्गा , लक्ष्‍मी , सती , चंडी , कोई देवी न बन बनना है तो सिर्फ इंसान बन।। भूल और गलती के अधिकगर से खुद को वंचित न कर घर को मत बना मंदिर और गर्भगृह की मूरत न बन।। इंसान है और गलतियां तुझसे भी होंगी माफी के लिए सिर्फ और सिर्फ इंसान बन।। दया , धर्म , संस्‍कृति और सभ्‍यता की पोषक न बन मानवता की परिधि में गतिमान विज्ञान बन।। घर की दहलीज की लाज और लज्‍जा न बन राजनीति की पुरोधा और हर चौपाल की प्रधान बन।। बड़ा या विशाल कद वाली अनोखी नारी न बन इंसानों जैसी , इंसानों में बराबर के अधिकार वाली इंसान बन।। तोहफा , छूट , फ्री और खास दिवस में न सिमट हक-अधिकार को शिक्षा और बराबरी से ले सशक्‍त बन।। न डर , आगे बढ़ , तेरा भी ये पूरा जहां है अधिकारों को अब न मांग , हक से अपने अधीन कर।। देवी न बन , बनना है तो सिर्फ इंसान बन।। ---------------------------------------***------------------------------------------- मुझे चांद की तरह तुम पसंद नहीं हो न फूलों की तरह मुलायम , न कठोर मूरत।। मूझे मक्‍खन , मलाइ और दूध सी तुम पसंद नहीं हो न कोमल , मासूम , लाचार या दया की भिक्षु।। मुझे ...