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सितंबर, 2017 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

संवरने के इंतजार में अस्तित्व खोती यमुना

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आदित्य देव पाण्डेय देश की राजधानी दिल्ली में यमुना को सजाने, संवारने को लेकर सरकारों ने वादे तो बहुत किए। पैसे भी काफी आवंटित किए पर जमीनी स्तर पर सब कुछ सिफर रहा। आज यमुना के हालात यह है कि वह नदि से ज्यादा नाला नजर आने लगी है। यमुत्रोत्री से स्वच्छ व स्वेत निकलने वाली यह दिल्ली में घोर काली नजर आती है। दशकों से स्वच्छता के वादे सिर्फ छलावा बनते नजर आ रहे हैं। दिल्ली का वजीराबाद बैराज यमुना के मैले आंचल का गवाह है। यहीं से यमुना दिल्ली मे प्रवेश करती है और इसी जगह पर बना बैराज यमुना को बढ़ने से रोक भी देता है। यहां यमुना एक तरफ साफ और दूसरी ओर मैली नजर आती है। यहां नदी का सारा पानी उठा लिया जाता है और जल शोधन संयत्र के लिए भेज दिया जाता है ताकि दिल्ली को पीने का पानी मिल सके। आइए जानते हैं दिल्ली की समझ, जरूरत और यमुना की बदहाली की दास्तान...       उत्तराखंड के टिहरी-गढ़वाल जिले में यमुनोत्री का उद्गम स्थल है और यह इलाहाबाद में जाकर गंगा नदी में समाहित हो जाती हैं। यमुनोत्री ग्लेशियर से निकलने और इलाहाबाद के गंगा में मिलने के बीच यमुना नदी की कुल लम्बाई 1367 किल...

दिल्ली की सड़कें तालाब बनने को तैयार, लगेंगे जाम

आदित्य देव पाण्डेय देश की राजधानी दिल्ली में जिसे राजनेता यूरोपीय देशों की राजधानी की तरह बनाने का सपना दिखाते हैं। लेकिन, जब धरा पर आकर देखा जाए तो यहां मोहल्लों में गंदगी और सड़कों पर गड्ढे साफ नजर आएंगे। खैर हम गंदगी और कचड़े की राजनीति में न उलझ आज मानसून और सड़कों की समस्या पर अपना ध्यान आकर्षित करेंगे। राजधानी में मानसून ने अपनी पहली दस्तक 19 जून को दे दी। इसी के साथ प्रशासन की व्यवस्थाओं की पोल भी खुल गई। दिल्ली की करती 100 से ज्यादा प्रमुख सड़कें जलमग्न हो गईं तो लोगों को घंटों जाम के बीच रहना पड़ा। इससे यह तो स्पष्ट हो गया कि बरसात को लेकर प्रशासन की व्यवस्थाएं अपूर्ण हैं।  बता दें कि प्रशासनिक एजेंसियों ने 2016 में ट्रैफिक पुलिस द्वारा सौंपी सूची वाली सड़कों की भी मरम्मत नहीं की है। ऐसे में मानसून की पहली ही बारिश में दिल्ली की सड़कें तालाब बनी नजर आईं।  राजधानी दिल्ली की सड़कों की हालत अंतरराष्ट्रीय स्तर तो छोड़िए किसी छोटे शहर जैसी कह सकते हैं। सबसे बड़ी बात की यहां की सभी प्रमुख सड़कें 60 फीट चौड़ी हैं, लेकिन ट्रैफिक व्यवस्था के नाम पर सिर्फ चालान है। यदि राजधानी के...

कब होगा काम पूरा

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दिल्ली के यमुनापार और एनएच-1 को यूपी के हाईवे से जोड़ने वाला सिग्नेचर ब्रिज (पुल) के चालू होने की तारीख मिल गई है। माना जा रहा है कि यह आधुनिक और खूबसूरत पुल 2017 के सितंबर माह तक बन जाएगा। इस पर 1225 करोड़ रुपये अभी तक खर्च हो चुके हैं। वहीं इस पर और कितना खर्च और होगा इसका अनुमान अभी भी नहीं लगाया जा सकता है। बता दें कि यह पुल 2008 से ही निर्माणाधीन है।  वर्ष 2010 में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में कॉमनवेल्थ गेम्स होने थे। इसी के मद्दे नजर इस पुल की आधारशिला 2008 में रखी गई, ताकि कॉमनवेल्थ गेम्स से पहले यह बन सके। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अब तक इसके बनने की अनुमानित तारीख में आधा दर्जन बार बदलाव किया जा चुका है। 2010 में केंद्र में बैठी कांग्रेस सरकार ने इसे ढाई साल में पूरा करने का दावा किया था। अब 2017 आ चुका है, लेकिन गत अनुमानित तिथि सितंबर में भी काम पूरा होने जैसा नजर नहीं आ रहा।  पीडब्ल्यूडी मंत्रालय सत्येंद्र जैन के अनुसार, पूर्व सरकार ने 1131 करोड़ रुपये इस प्रोजेक्ट पर खर्च किए, फिर भी निर्माण अधूरा है। वर्तमान सरकार इस प्रोजेक्ट में आने वाली खामियों को दूर कर इसे...