दिल्ली की सड़कें तालाब बनने को तैयार, लगेंगे जाम

आदित्य देव पाण्डेय

देश की राजधानी दिल्ली में जिसे राजनेता यूरोपीय देशों की राजधानी की तरह बनाने का सपना दिखाते हैं। लेकिन, जब धरा पर आकर देखा जाए तो यहां मोहल्लों में गंदगी और सड़कों पर गड्ढे साफ नजर आएंगे। खैर हम गंदगी और कचड़े की राजनीति में न उलझ आज मानसून और सड़कों की समस्या पर अपना ध्यान आकर्षित करेंगे। राजधानी में मानसून ने अपनी पहली दस्तक 19 जून को दे दी। इसी के साथ प्रशासन की व्यवस्थाओं की पोल भी खुल गई। दिल्ली की करती 100 से ज्यादा प्रमुख सड़कें जलमग्न हो गईं तो लोगों को घंटों जाम के बीच रहना पड़ा। इससे यह तो स्पष्ट हो गया कि बरसात को लेकर प्रशासन की व्यवस्थाएं अपूर्ण हैं। 

बता दें कि प्रशासनिक एजेंसियों ने 2016 में ट्रैफिक पुलिस द्वारा सौंपी सूची वाली सड़कों की भी मरम्मत नहीं की है। ऐसे में मानसून की पहली ही बारिश में दिल्ली की सड़कें तालाब बनी नजर आईं।  राजधानी दिल्ली की सड़कों की हालत अंतरराष्ट्रीय स्तर तो छोड़िए किसी छोटे शहर जैसी कह सकते हैं। सबसे बड़ी बात की यहां की सभी प्रमुख सड़कें 60 फीट चौड़ी हैं, लेकिन ट्रैफिक व्यवस्था के नाम पर सिर्फ चालान है। यदि राजधानी के मोहल्लों, बस्तियों और कॉलोनियों की गलियों की बात करें तो नजरें शर्म से झुक जाएंगीं।  19 जून की बारिश अभी आगाज भी लोगों की परेशानियों की। आने वाले मानसून के साथ यह समस्या और विकराल रूप लेगी। लेकिन, प्रशासन के पास इसको लेकर क्या उपाय हैं। यह कहीं भी देखने को नहीं मिल रहा है। माजूम हो कि पिछले साल दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने पीडब्ल्यूडी और दिल्ली नगर निगम को सैकड़ों सड़कों की लिस्ट दी थी। इन सड़कों की मरम्मत और अन्य व्यवस्थाओं को लेकर सुझाव दिया गया था। ये वो सड़कें थीं जो बारिश में जबरदस्त जलभराव से प्रभावित होती हैं। ट्रैफिक सुचारु रखने के लिए पीडब्ल्यूडी और नगर निगम से गुहार लगाई गई थी, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ और लोगों को जाम और जलमाव से परेशान होना पड़ा। 

जरा सी बारिश में पानी में डूब जाती हैं सड़कें 
बुराड़ी मुख्यमार्ग, वजीराबाद,  निजामुद्दीन ब्रिज के पास एनएच 24 सड़क, आजादपुर मंडी, पांडव नगर आदि प्रमुख सड़कों पर जबर्दस्त जलभराव होता है। यहां से गुजरने वाले लोगों को पानी से जूझना पड़ता है। वाहन चालकों को सैलेंसर में पानी घुसने का डर बना रहता है। कई बार तो चालकों की हिम्मत नहीं होती कि वे जलभरी सड़कों से गुजर जाएं। ऐसे में उन्हें या तो पीछे हटना पड़ता है या फिर वहीं पर गाड़ी खड़ी कर पानी बह जाने का इंतजार करना पड़ता है। सराय काले खां की सड़क को बारिश में देख पाना कठिन हो जाता है। यहां सड़क किसी नदि सी प्रतीत होने लगती है। सबसे बड़ी बात कि यह एक बड़ा चौराहा है और यहां से हजारों गाड़ियां गुजरती हैं। पानी के चलते दो पहिया वाहन और छोटे कार जिनके सैलेंसर नीचे हैं उनका आगे निकलना नामुमकिन सा हो जाता है। यही नहीं दिल्ली का दिल कहे जाने वाले लुटियन जोन में और दिल्ली हाईकोर्ट के सामने जबरदस्त जलभराव की समस्या रहती है। यहां थोड़ी देर में ही जलभराव के कारण गाड़ियों की लंबी कतार लग जाती है। पीडब्ल्यूडी की सड़क हो या एमसीडी की हर छोटी-बड़ी सड़क जल भराव से जूझ रही है। जलभराव में फंस कर ऑटो से लेकर डीटीसी बस तक ब्रेकडाउन हो रही हैं। 


विशेषज्ञ का सुझाव
हर साल दिल्ली ट्रैफिक पुलिस जलजमाव से प्रभावित सड़कों को चिह्नित करती है और पीडब्ल्यूडी, एमसीडी और एनडीएमसी जैसी स्थानीय निकायों को प्रभावित जगहों को दुरस्त करने के लिए चिट्ठियां लिखती है, लेकिन हालात जस की तस ही रह जाती है। अब तो ये निकाय भी इतने उदासीन हो गए हैं, जैसे ट्रैफिक पुलिस का काम है सूची भेजना और इन निकायों का इन्हें देख लाल फीते से बांध दराज में रख देना। ऐसे में शासन और प्रशासन से जुड़े निकायों को सामंजस्य के साथ एक दूसरे का सहयोग करते हुए काम करना होगा। तभी जाकर जलभराव और जाम की स्थिति से आम जन को मुक्ति मिल सकेगी। 

इतनी सड़कें जलभराव से प्रभावित
- 2015 में ट्रैफिक पुलिस ने ऐसे 160 जगहों को चिह्नित किया था
- 2016 में 58 ऐसी जगहें मिलीं जहां पानी लगता है
- 2017 में 90 जगहों पर जलभराव की समस्या नजर आई, जिनके कारण जाम भी लग जाता है

- बता दें कि ट्रैफिक पुलिस द्वारा बताई इन सभी जगहों में से अधिकांश जगह पीडब्ल्यूडी के हिस्से की हैं

निकायों की खींचतान बनी मूसीबत
दिल्ली के स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर में सड़क पर शोध करने वाले प्रोफेसर सेवा राम के अनुसार, राजधानी में जलभराव बड़ी चुनौती है। हर साल 100 से ज्यादा जगहों पर जलभराव अनिवार्य तौर पर होता ही है। वह यहां की मुख्य सड़क यानी लाइफ लाइन हो या फिर कोई अंदरूनी मार्ग। सब की स्थिति ऐसी ही है। इनकी देखभाल करने वाले निकायों में सुधार की गुंजाइश तो नजर नहीं आती, लेकिन आपसी खींचतान स्पष्ट नजर आ जाता है। एमसीडी और दिल्ली सरकार के पीडब्ल्यूडी का टकराव जगजाहिर है। जाहिर है कि दिल्ली की छोटी सड़कें हों या फिर पीडब्ल्यूडी के अंतर्गत आने वाली बड़ी सड़कें, सबके हालात बद से बदतर हैं। जरा सी बारिश में ये तालाब में तब्दील हो जाते हैं। पीडब्ल्यूडी मंत्री सत्येंद्र जैने ने बताया कि राजधानी में 150 मोबाइल वाटर पंप काम कर रहे हैं। हम इसको लेकर चिंतित है और इस पर काम किया जा रहा है, ताकि लोगों को परेशानी का सामना न करना पड़े। हमने बारिश में जलमग्न होने वाले 160 प्वाइंट तलाशे हैं।


जलभराव ऐसे दूर होगा
- सड़क के दोनों ओर नालियां होनी चाहिएं
- नालियों में गंदगी या जाम न हो
- नालियों पर किसी तरह का अतिक्रमण न लगे
- राजधानी की अधिकतर सड़कों का लेवल नीचे है
- सड़कों का लेवल किनारे की नालियों से ऊंचा करना होगा
- चौराहों पर पानी जमा न हो इसके लिए व्यवस्था की जरूरत है
- जलजमाव की चिह्नित जगहों पर वाटर पंप जरूर हो
- अंडरपास में पानी की निकासी लगातार होती रहे


प्रभावित क्षेत्र 
ऑफिस और स्कूल जाने वालों को मानसून के दौरान काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। हल्की बारिश में राजधानी की कई सड़कों से गुजरने वाले राहगीर परेशान हो जाते हैं। आईआईटी-दिल्ली और मुनीरका, मोती बाग, चिराग दिल्ली, साकेत, मोदी मिल, मूलचंद, साउथ एक्सटेंशन, यूसुफ सराय, एम्स, लोदी रोड, एंड्र्यूज गंज, ग्रेटर कैलाश, नेहरू प्लेस और जसोला में बारिश होते ही भारी ट्रैफिक जाम लग जाता है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि उप मुख्यमंत्री ने जाम से प्रभावित इलाकों और निरंतर जलभराव के कारण पूछे थे। यातायात पुलिस ने ऐसे 29 इलाकों को सूचीबद्ध किया है जहां भारी जलजमाव होता है। इस परेशानी को देखते हुए संबद्ध निकायों को 15 सितंबर तक चिह्नित सड़कों को उन्होंने खोदने से रोक लगा दी है। 

यहां शिकायत करें
जलभराव, नाले जाम होने और सड़कों पर कचरा एकत्र होने के संबंध में शिकायतें इन हेल्पलाइन नंबरों के जरिए दर्ज कराई जा सकती हैं।
1916 (जल निगम)
8750871493 (यातायात पुलिस का व्हाट्सएप नंबर)
1800118595 (पीडब्ल्यूडी मंत्रालय)
... (नगर निगम)
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पूर्वी दिल्ली है तंग
सभी प्रशासनिक निकायों ने मानसून आने से पहले ही क्षेत्र के सभी नाले-नालियों की सफाई का दावा किया था। लेकिन, 19 और 20 जून को बरसे बादलों ने उनके दावों को धराशायी कर दिया। यमुनापार में कई ऐसी जगहे हैं या सड़कें हैं जो हल्की बारिश में ही जलमग्न हो जाते हैं। यहां की गलियों के साथ ही मुख्य मार्ग भी जलजमाव से प्रभावित हैं। ऐसे में राहगीरों को काफी मुसीबत का सामना करना पड़ता है। स्वामी दयानंद अस्पताल से सूरजमल विहार के रास्ते में झिलमिल अंडरपास के नीचे से गुजरना मोटरसाइकिल और साइकिल चालकों के लिए मुश्किल हो जाता है। कारें फंस जाती हैं। वहीं शाहदरा के भोलानाथ नगर मेन रोड पर सब्जी मंडी, रेलवे पुल के पास की सड़क जलमग्न हो जाती है। इसी तरह पटपड़गंज रोड पर शकरपुर मास्टर ब्लॉक और मधुबन कॉलोनी के बीच की सड़क भी जल में समा जाती है। वी3एस मॉल के सामने सर्विस रोड पर घुटने भर पानी भर जाता है। सोनिया विहार की स्थिति भी ऐसी ही कुछ है। शाहदरा के विधायक रामनिवास गोयल का कहना है कि भोलानाथ नगर मेन रोड की समस्या के लिए नगर निगम जिम्मेदार है। झिलमिल अंडरपास पर जलभराव के कारणों की पड़ताल की जाएगी। पीडब्लूडी के अधिकारियों से इस संबंध में रिपोर्ट तलब की जाएगी।
वहीं शाहदरा दक्षिणी निगम के उपायुक्त जेएल गुप्ता का कहना है कि 
नगर निगम ने जलभराव की शिकायतों के लिए हेल्पलाइन बनाया है। इस तरह की समस्या सामने आने पर लोग हेल्पलाइन नंबरों पर शिकायत कर सकते हैं। उनकी शिकायत पर तुरंत कार्रवाई हो रही है। भोलानाथ नगर मेन रोड की समस्या के बारे में आपके माध्यम से जानकारी मिली है। इसके लिए टीम रवाना कर दी गई है। जल्द ही समस्या दूर हो जाएगी।

157 सड़कें डूबने को रहती हैं तैयार
 मानसून ने दस्तक दे दी है। वहीं दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने राजधानी के तीनों प्रशासनिक निकायों और पीडब्ल्यूडी को तैयार रहने के लिए कह दिया है। अगर ये निकाय व्यवस्था में थोड़ी भी चूक करते हैं तो दिल्ली की 157 सड़कें तालाब में तब्दील हो जाएंगी। दिल्ली सरकार के पीडब्ल्यूडी और एनडीएमसी को भी इस समस्या से रूबरू करा दिया गया है जो सड़कें मानसून में पानी से लबालब हो जाएंगी अथवा हो जाती हैं। इसमें आजाद मार्केट, बर्फ खाना चौक से तीज हजारी, आईएसबीटी कश्मीरी गेट, रेलवे ब्रिज किशन गंज, नई दिल्ली से पहाड़गंज रोड, तिलज ब्रिज, मिंटो रोड और लक्ष्मीनगर मेट्रो स्टेशन शामिल हैं। आपको बता दें कि प्रभावित सड़कों की सूची में से सबसे ज्यादा सड़के दिल्ली सरकार के पीडब्ल्यूडी विभाग के पास है। 

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