कब होगा काम पूरा
दिल्ली के यमुनापार और एनएच-1 को यूपी के हाईवे से जोड़ने वाला सिग्नेचर ब्रिज (पुल) के चालू होने की तारीख मिल गई है। माना जा रहा है कि यह आधुनिक और खूबसूरत पुल 2017 के सितंबर माह तक बन जाएगा। इस पर 1225 करोड़ रुपये अभी तक खर्च हो चुके हैं। वहीं इस पर और कितना खर्च और होगा इसका अनुमान अभी भी नहीं लगाया जा सकता है। बता दें कि यह पुल 2008 से ही निर्माणाधीन है।
वर्ष 2010 में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में कॉमनवेल्थ गेम्स होने थे। इसी के मद्दे नजर इस पुल की आधारशिला 2008 में रखी गई, ताकि कॉमनवेल्थ गेम्स से पहले यह बन सके। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अब तक इसके बनने की अनुमानित तारीख में आधा दर्जन बार बदलाव किया जा चुका है। 2010 में केंद्र में बैठी कांग्रेस सरकार ने इसे ढाई साल में पूरा करने का दावा किया था। अब 2017 आ चुका है, लेकिन गत अनुमानित तिथि सितंबर में भी काम पूरा होने जैसा नजर नहीं आ रहा।
पीडब्ल्यूडी मंत्रालय सत्येंद्र जैन के अनुसार, पूर्व सरकार ने 1131 करोड़ रुपये इस प्रोजेक्ट पर खर्च किए, फिर भी निर्माण अधूरा है। वर्तमान सरकार इस प्रोजेक्ट में आने वाली खामियों को दूर कर इसे जल्द पूरा कराने में जुटी है। मंत्रालय ने सितंबर माह में इस पुल पर गाड़ियों के दौड़ने का वक्त मुकर्रर किया है।
पर्यटन मंत्री कपिल मिश्रा के अनुसार, इस ब्रिज के प्रमुख पिलर के निर्माण में समस्याएं आ रहीं थीं, जिन्हें पूरा कर लिया गया है। पुल का मुख्य पिलर बनकर तैयार हो गया है। अब 15 हजार स्टील के तारों से पुल को पिलर पर चढ़ाया जाएगा। बता दें कि इस पुल का निर्माण गैमन-कंस्ट्यूटोरा-तेनेसाकाई जेवी कंपनी कर रही है। इस कंपनी ने चीन की कंपनी जिआंगसू जोंगताई स्टील स्ट्रक्चर लिमिटेड को 15 हजार टन स्टील के पाइलॉन (तारों से बनाया गया विशाल ढांचा) बनाने का काम दिया। इसी लाइलॉन से पुल का निर्माण होगा। दिल्ली सरकार के अनुसार, करीब 1600 करोड़ रुपये इस पुल पर खर्च होने की संभावना है। इसके निर्माण का जिम्मा दिल्ली सरकार के पर्यटन विभाग के पास है। चौकाने वाली बात यह है कि 450 करोड़ रुपये निर्धारित लागत से बनने वाले इस पुल की वर्तमान लागत चार गुना हो चुकी है। बता दें कि इस पुल को बनाने के लिए दिल्ली मंत्रीमंडल ने 23 फरवरी 2010 को स्वीकृति दी गई थी। वजीराबाद स्थित यह पुल दिल्ली का पहला रज्जु कर्षण पुल होगा। इस पुल को बनाने के लिए सबसे पहले 1997 में सुझाया गया था। इस पुल का उद्घाटन दिल्ली की निवर्तमान मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने किया था। इसका बिचला खंभा 175 मीटर ऊंचा है। इसपर दो भूमिगत मार्ग, फुटपाथ और साइकिल ट्रैक बनाया जाएगा। वहीं दोहरे चार-लेन के 14 मीटर चौड़ मार्ग तैयार होने हैं। लेन के बीच में 1.2 मीटर चौड़ी मध्यपट्टी पर केबल व रखरखाव आदि की व्यवस्था रहेगी। कुतुब मिनार से दोगुनी ऊंचाई वाला यह ब्रिज उत्तरी और पूर्वी दिल्ली की लाइफ लाइन मानी होगी। ऐसे में अधिकारिक सूत्रों के अनुसार, इस पुल का निर्माण दिसंबर 2017 तक खीच सकता है। पुल का 60 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका है, वहीं 40 प्रतिशत काम लंबित है। बढ़ते लागत और निर्माण सामग्री के त्वरित उपलब्धता न होने के कारण काम पूरा होने में समस्या आ रही है। वहीं पुल के मोडिफिकेशन और बढ़ाई गई लंबाई (660 से 675 मीटर) और चौड़ाई (33 से 35.2 मीटर) भी देरी का सबब रही। इसके अलावा 21 पर्यावरण से संबंधित मंजूरी भी बड़ी बाधा बनी रही। बता दें कि अब तक छह बार इस पुल के पूर्ण निर्णाण की डेडलाइन तय की जा चुकी है। सितंबर 2017 की तारीख सातवीं बार है। अब देखना है कि इस तारीख पर भी कोई नई तारीख न घोषित कर दी जाए। इस पुल के बनने से नानकसर-सोनिया विहार पुस्ता, खजूरी चौक व पुस्ता रोड पर ट्रैफिक व्यवस्था से जूझ रहे लोगों के साथ पुलिस वाले भी राहत की सांस ले सकेंगे।
खासियत
मुख्य सिग्नेचर ब्रिज का हिस्सा 675 मीटर लंबा होगा
150 मीटर ऊंचाई वाला यह पुल तारों पर टिका होगा
इसके लिए 251 मीटर स्पैन प्रयोग होंगे
मुख्य ब्रिज 8 लेन का और 14 मीटर चौड़ाई के मार्ग बनेंगे
इस वजह से लागत बढ़ी
257 करोड़ रुपये काम प्रभावित होने से लगे
45 करोड़ रुपये अरावली की चट्टानों के लिए
10 करोड़ रुपये सिग्नेचर ब्रिज पर प्रकाश व्यवस्था में
4 करोड़ रुपये मोर पंख की डिजाइन वाली ग्राफिक बनाने में
18 करोड़ रुपये डीडीए और वन विभाग को देने हैं
463 करोड़ रुपये और खर्च करने होंगे लगातार हो रही देरी की वजह से
वेबसाइट पर स्टेटस नहीं बदला
यमुना पर सिग्नेचर ब्रिज के निर्माण कार्य को लेकर सरकार ने चिंता जताई और आदेश दिया कि निर्माण कार्य की स्टेटस रिपोर्ट प्रत्येक सप्ताह सार्वजनिक की जाए। इसे पर्यटन विभाग की वेबसाइट पर प्रत्येक शुक्रवार की शाम को अपडेट किया जाएगा। इसके अलावा प्रत्येक दिन क्या काम हुए और कितने पैसे खर्च हुए इसकी रिपोर्ट प्रत्येक शाम सीधे मंत्री को देनी होगी। लेकिन, वेबसाइट पर जनवरी के बाद से ही कोई अपडेट आकड़ा नहीं मिलेगा।
शंघाई सा सुंदर दिखेगा ब्रिज
राजधानी में आने वाले पर्यटकों को अगले वर्ष जून तक कैलिफोर्निया व शंघाई की तरह दिल्ली में आकर्षक सिग्नेचर ब्रिज दिखाई दे, यह सुनिश्चित करने के लिए दिल्ली सरकार के पर्यटन विभाग के मंत्री कपिल मिश्रा ने निर्देश दे रखे हैं। निर्माणकर्ता कंपनी गैमन इंडिया और दिल्ली पर्यटन विभाग के सभी आला अधिकारी पर्यटन मंत्री ने इसके निर्देश दिए हैं। इसके अलावा उन्होंने प्रत्येक दिन क्या काम हुए और कितने पैसे खर्च हुए इसकी रिपोर्ट प्रत्येक शाम देने को भी कहा है।
मोर पंख सा नजर आएगा
इसके अलावा यह ब्रिज रात में मोर के पंख की तरह चमकता दिखेगा। 4 करोड़ इस पर खर्च करने की योजना बनाई गई है। दिल्ली की पहचान इस पुल को अमेरिका के गोल्डन ब्रिज और लंदन ब्रिज की तर्ज पर किया जा रहा है। ब्रिज के ऊपर से यमुना नदी के साथ-साथ दिल्ली का नजारा लिया जा सकेगा। ग्राफिक डिजाइन के जरिए इस पुल को मोर के पंख जैसी आकृति दी जाएगी, जिससे यह भगवान कृष्ण और यमुना से जुड़ी आस्था को लोगों के जेहन में बसाया जा सके। विशेष लाइट शो के माध्यम से वजीराबाद ब्रिज को पर्यटन से जोड़ा जाएगा। ऊपर से नजारा दिखाने के लिए ब्रिज पर लिफ्ट का भी प्रावधान रखा गया है। इस पर करीब 12-13 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। बता दें कि जेएनएनयूआरएम योजना के तहत केंद्र सरकार ने भी 380.59 करोड़ रुपये इस पुल के लिए दिए हैं। यह पुल ट्रास यमुना क्षेत्र को बाहरी व उत्तरी दिल्ली से जोड़ेगा।
देख सकेंगे दिल्ली का नजारा
परियोजना के मुख्य परियोजना प्रबंधक शिशिर बंसल के अनुसार, यह परियोजना अपने अंतिम पड़ाव पर है। उन्होंने बताया कि दिल्ली को जल्द ही यह उपहार मिल जाएगा। यहां निर्मित टावर पर एक चार मंजिला दर्शक गैलरी का निर्माण कराया जाएगा। यहां से पर्यटक पूरी दिल्ली को देख सकेंगे। इस टावर की 154 मीटर ऊपर दर्शक गैलरी तक पर्यटक दो लिफ्टों के सहारे पहुंचेगे। पहली लिफ्ट 88 मीटर ऊंचाई की और दूसरी लिफ्ट अंतिम छोर तक दर्शकों को ले जाएगी। चार मंजिला इस गैलरी में 80 वर्ग फुट जगह होगी।
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खूबसूरत झील और पार्क करेंगे आकर्षित
दिल्ली की पहचान बनने को तैयार सिग्नेचर ब्रिज के पास दिल्ली सरकार एक बेहद खूबसूरत झील तैयार करा रही है। इसके लिए जगह भी खोज ली गई है। इसमें पर्यटकों के लिए बोटिंग की भी व्यवस्था होगी। इस झील को बेंगलुरु के वेट लैंड इको सिस्टम की तर्ज पर विकसित किया जा रहा है। इस सिस्टम के तहत झील के अंदर लगे पौधे अपनी जड़ों के जरिए पानी को साफ रखेंगे। दिल्ली जल बोर्ड के सीईओ एस एस यादव के मुताबिक दिल्ली जल बोर्ड की 25 एकड़ जमीन पड़ी हुई है। चूंकि अब ऑक्सीडेशन पॉन्ड में सीवर का पानी साफ नहीं होता लिहाजा यहां झील बनाई जाएगी।
जल बोर्ड के इस ऑक्सीडेशन पॉन्ड में नेहरू विहार के आसपास की ड्रेन से सीवेज का पानी आता है। इस ऑक्सीडेशन पॉन्ड को हवा और सूरज की रोशनी के जरिए नैचुरल तरीके से साफ रखा जाता था। अब लेक का पानी साफ करने के लिए पहले सीवर का पानी एक रिजरवॉयर में लाया जाएगा। रिजरवॉयर से पानी को एक एसटीपी प्लांट में पानी साफ किया जाएगा।
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किराए में बर्बाद हो रहा बहुमूल्य धन
यमुना पर सिग्नेचर ब्रिज का जो अहम हिस्सा टावर के रूप में होगा उसे तैयार करने के लिए दो क्रेन विदेश से मंगवाई गई हैं। बता दें कि इनके लिए सरकार को 4.5 करोड़ रुपये प्रतिमाह विदेशी कंपनी को देना पड़ता है। सूत्रों ने बताया कि टावर का जो भाग चीन से मंगवाया गया है। इसके आने में काफी देरी हुई। ऐसे में इस कंपनी को 11 महीने तक उक्त दोनों क्रेनों का बिना काम लिए ही करोड़ों रुपये किराया देना पड़ा।
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स्टील के तारों पर झूलेगा यह पुल
दिल्ली के पर्यटन, गृह, कला एवं संस्कृति मंत्री जितेन्द्र सिंह तोमर ने के अनुसार, यह देश का ऐसा पहला सिंगल पाइलन ब्रिज होगा। इसके बीच के सिरे के एक तरफ का बैलेंस18 मोटी केबलों से सधा होगा और उसके नीचे कोई पिलर नहीं होगा और दूसरी ओर मात्र चार केबल होंगी। यह पूरा ब्रिज स्टील का बना हुआ और तारों से झूलता हुआ होगा। हाई तकनीक से बने इस पुल पर भूकंप का भी कोई असर नहीं होगा। पुल के के बीच खड़ी 154 मीटर ऊंची मेहराब पर विशेष प्रकाश व्यवस्था होगी। यह रात में दूर से ही दिखाई दे जाएगा।
प्रोजेक्ट तीन भागों में चल रहा
मुख्य पुल : यमुना नदी की डाउन स्ट्रीम में मौजूदा पुल से करीब 500 मीटर दूर नया पुल तैयार होगा। इसकी एक खासियत केबल स्टे ब्रिज व 154 मीटर ऊंचा पाइलान है।
वेस्टर्न एप्रोच : रिंग रोड पर करीब 1.80 किमी लंबा व 8 लेन चौड़ा फ्लाईओवर बन रहा है। इससे तिमारपुर, वजीराबाद और मुखर्जी नगर यानी उत्तरी दिल्ली के प्वाइंट सिग्नल फ्री हो जाएंगे। इसके लिए 8 लूप फ्लाईओवर से जुड़ेगा। इससे फ्लाईओवर के किसी प्वाइंट पर कहीं भी जाम नहीं लगेगा।
ईस्टर्न एप्रोच : वजीराबाद रोड स्थित खजूरी चौक को सिग्नल फ्री करने के लिए 800 मीटर लंबा व आठ लेन चौड़ा फ्लाईओवर तैयार किया जा रहा है। यहां से यमुना नदी तक करीब 2 किमी लंबी नई सड़क तैयार की जा रही है। इसके बीच में 120 मीटर डायफ्राम की एक रोटरी होगी। इससे आउटर रिंग रोड से खजूरी चौक तक जाम पर लगाम लग जाएगा।
जाम पर विराम
अपनी खूबसूरती के लिए जाना जाने वाला यह पुल क्षेत्र में जाम मुक्ति का भी पर्याय बनेगा। दिल्ली की पहचान जाम से होने लगी है। ऐसे में यह पुल उत्तरी और पूर्वी दिल्ली के लोगों के साथ ही एनएच 1, 24 और 58 से गुजरने वाले वाहनों के लिए भी वरदान साबित होगा। वजिराबाद के साथ ही बुराड़ी और संत नगर जैसे क्षेत्रों में लगने वाले जाम पर लगाम कसेगी। साउथ दिल्ली ,पूर्वी दिल्ली और दिल्ली के बाकी जगह, गुरुग्राम के साथ करावल नगर से शास्त्री पार्क राहत की सांस लेंगे। कश्मीरी गेट की तरफ जाने वाले रास्ते पर कई जगह जाम के हालात बने रहते हैं। खास तौर से मजनू का टीला, जहां आए दिन वाहनों की लंबी कतार नजर आती है। सिग्नेचर ब्रिज के बन जाने से पूर्वी दिल्ली, गाजियाबाद, मोदीनगर, मुरादनगर, लोनी, मेरठ और नोएडा जाने वाले वाहन यहीं से निकल सकेंगे और दिल्ली पर ट्रैफिक का बोझ कम हो जाएगा। हालांकि ट्रैफिक बढ़ने की एक मुख्य वजह लोगों की आर्थिक निर्भरता और गाड़ी के शौक को भी माना जाता है। बता दें कि गाजीपुर मंडी पर जाने के लिए भी अक्सर ट्रक और बड़े वाहन यमुना के पुल से होकर गुजरते हैं। ऐसे में दिल्ली काफी प्रभावित होती है।
महंगी नहीं, सुविधाजनक हो योजना
भाजपा सांसद मीनाक्षी लेखी के अनुसार, सरकार की प्राथमिकता जनता की सुविधाओं का ख्याल रखना है न कि उसके नाम पर लग्जरी सुविधाओं को बढ़ावा देना। जहां जरूरत सिर्फ यमुना पर एक सामान्य पुल है, वहां सिग्नेचर ब्रिज की महंगी योजना का बोझ डाला जा रहा है। वहीं भाजपा सासंद महेश गिरी व रमेश विधूड़ी ने सिग्नेचर ब्रिज के निर्माण को लेकर सामने आ रहे घोटालों का उल्लेख करते हुए कहा कि जनता आज भी सुविधा को तरस रही है और निर्माण में धांघली कर भ्रष्टाचारी करोड़ों रुपये डकार चुके हैं। वहीं नियंत्रक महालेखा परीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट में यह सामने आया कि फ्लूड लगी निविदाओं को इस परियोजना में स्वीकार किया गया, जो गलत है। सीएजी के अनुसार, ऐसे आवेदन को रद्द कर देना चाहिए, जिसके दस्तावेजों में फ्लूड लगाकर छेड़छाड़ की गई हो या फिर अलग-अलग स्याही वाले पेन प्रयोग हुए हों। मैसर्स एफकॉन्स ने टेंडर के दस्तावेजों में से पांच पन्नों में मूल्य से संबंधित जगह पर फ्लूड का इस्तेमाल किया गया था। वहीं सिग्नेचर ब्रिज निर्माण के दौरान तैयार तटबंध में फ्लाई-एश की जगह रेत के इस्तेमाल के कारण पांच करोड़ रुपये के नुकसान की भी बात सामने आ चुकी है। यह तथ्य सीवीसी जांच में सामने आया है। सूत्रों के अनुसार मार्च 2011 में ब्रिज का टेक्निकल इंस्पेक्शन कराया गया था, जिससे ज्ञात हुआ कि कुल 11,25,220 क्यूबिक मीटर क्षेत्र में फ्लाई एश से भराव करना था। जबकि जांच में पता चला कि 75,200 क्यूबिक मीटर क्षेत्र में यमुना की रेत से भराव कर दिया गया। टेंडर में फ्लाई एश के दाम 210 र्स्पए प्रति क्यूबिक मीटर बताए गए थे जबकि रेत के दाम 250 र्स्पए प्रति क्यूबिक मीटर कोट किए गए थे। लेकिन डीटीटीडीसी ने भराव के बाद रेत के दाम 806.01 रुपये प्रति क्यूबिक मीटर की दर से अदा करने की बात कही, जो काफी महंगी है। सीवीसी के अनुसार अत्याधिक कीमत अदा करने के चलते सरकार पर 4.48 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ा है।
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