राजनीति और विकास को समझें कश्मीरी युवा

ADITYA DEV PANDEY सात दशकों से कश्मीर स्वेच्छा की राजनीति के मार्ग पर चल विकास को पाने की जद्दोजहद में लगा रहा। पर वास्तव में यह स्वेच्छा और स्वशासन का नियम किसी भी कश्मीरी का अधिकार कभी नजर नहीं आया। 70 वर्षों से कश्मीरी आवाम सड़क , पानी , शिक्षा , रोजगार , उद्योग , व्यापार आदि को लेकर तंगहाल ही रहे। कुछ युवा पाकिस्तान के आतंकी विचार के शिकार हो विकास की नई इबारत लिखने में जुट गए। इससे हालात तो नहीं सुधरे बल्कि ये युवा खुद ही दो मुल्कों की राजनीति की कठपुतली बन गए। देखते ही देखते ये युवा अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठनों का कंधा बनकर विश्व मंच पर आलोचना के शिकार होने लगे। रही बात विकास और अधिकार की तो वह दलदल की तरह जस की तस बनी रही। इतिहास पर नजर डालें तो आतंकियों के पनाहगाह पाकिस्तान की मंशा हमेंशा से सिर्फ इतनी ही रही कि वह भारत में कभी स्थीरता न आने दे। पाक एक ऐसा देश जो आर्थिक , सामाजिक , राजनीतिक और सैन्य अव्यवस्थाओं से जूझ रहा है। दिवालिया होने के कगार पर है। ऐसे में उसे राष्ट्र मानना भी मूर्खता ही होगी। यह जानने के ब...