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दिन के पीठ पीछे चलती एक परछाई है

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दिन के पीठ पीछे चलती एक परछाई है स्याह जिंदगी की मानों वही कहानी है। हमारी मायूसी के पीछे कोई तो खड़ा है सामने शायद मुस्कुराता वही अपना है। हश्र की चिंता में मौन को हम चुनते रहे हंसी के तोहफे में जख्म किसी ने तो कुरेदा है। बड़ी तसल्ली से खिदमत करते रहे खुशियों का मेरी हंसी को हिज्र तक किसी ने तो बिखराया है। हर तरफ मेरे पसरे अजीज ही तो हैं किससे कहूं कि घर में आग किसने लगाया है।   चुप हूं, खौफजदा होकर आखिर इश्क को मैंने इन्हीं पे लुटाया है। अच्छा है चंद नुकसान मुकद्दर को दिए कम से कम अपनों को हंसते तो हमने पाया है।।

हिंदुस्तान हमारा नारा है

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  जय हिंद के हैं हम वासी हिन्‍दुस्‍तां पर जीवन वारा है। भारत मां के जयकारों से वीरों ने इसे संवारा है।   जयकारा हिंद का , हिंदुस्तान हमारा नारा है। हिंदू , मुस्लिम , सिख मिलकर रहते यहां सभी धर्मों में भाईचारा है। जन गण मन के जयकारे लगते संविधान को माना भाग्य विधाता है। पंजाब , मराठा , तमिलनाडु तक फैला एक उजियारा है। अरुणाचल से रोशन होता भारत देश हमारा है। यमुना गंगा महानंदा से सिंचित यहां बहती कावेरी , गोदावरी की मीठी धारा है। कन्याकुमारी से कश्मीर तक शुभ बलिदानों की अमर जयगाथा है। भारत भूमि की प्रेम कहानी हर प्रांत के दिल में अलख जगाती है। भारत हैं हम , भारत हैं हम हर भारतीय अब बस यही गाता है।     -****   भोले भाले बाबा को जो दिल से कभी भी याद करता है। डमरू के धुन पर मुस्‍काता भोला मेरा भक्‍त को मिल जाता है।