श्वांग जीवन है या जीवन में इसका महत्व सर्वोच्च

श्वांग जीवन है या जीवन में इसका महत्व सर्वोच्च। मालूम नहीं! लेकिन एक बात तो तय है कि जीवन जीने के लिए एक अच्छे अ•िानेता का होना अति आवश्यक है। समय के चक्र ने हमें एक ऐसी स•य स•यता में पहुंचा दिया है, जिसमें हर कार्य सोच विचार कर हम करते हैं, किंतु अजीब बिडंबना है कि चरित्रिक स्थिति अपने निम्नतम अवस्था में पहुंच चुकी है। न चाहते हुए •ाी हमें झूठ और चाहकर •ाी झूठ ही हमें इस समाज में खड़े रहने को आधार प्रदान करता है। अजीब है पर यही आज की हकीकत है। आपको बताऊं कि एक बार मेरा मित्र बाजार में मिला। अ•ाी हम बात कर ही रहे थे कि उसकी मोबाइल पर उसके आॅफिस से फोन आ गया। वह दो दिनों से आॅफिस नहीं जा रहा था। उसने फोन उठाते ही अपनी आवाज को बीमारू रूप देते हुए अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और रोआसे आवाज में अपनी बीमारी की एक काल्पनीक कहानी गढ़ डाली। कुछ देर के बार फोन रख उछलते हुए बोला, साले को बेवकूफ बना दिया। और उसके बाद उसने अपने बॉस की ढेरों कहानियां सुनाई। जिसमें मात्र यही सिद्ध हो रहा था कि उसका बॉस काफी मूर्ख और दानवीय प्रवृत्ति का इंसान है। उसके बाद मेरे मित्र ने उसे •ाारत के मलीन बस्तियों से लेकर कूलीन तंत्र के बंगलों में बोली जाने वाली स•ाी गालियां दे उसे दे डाली। अद्•ाुत था यह मंजर। एक तरफ वह बॉस इसकी झूठी बात पर •ाी विश्वास कर सच्ची सहानु•ाूति दे रहा था, तो दूसरी तरफ इसका यह रूप कुछ और ही व्यक्त कर रहा था। मुझे याद है कि जब इसकी नौकरी नहीं लगी थी, तो साक्षात्कार के समय यही मेरा मित्र उनके पैर छूकर नौकरी की याचना किया था। खैर यह उसकी नहीं, प्रबंधन की समस्या है कि गुणवत्ता कर बंधन को मजबूर हो गई है। क्योंकि मुझे ज्ञात है कि वह वाकई में बहुत होनकार कर्मचारी है तथा अपने कार्य में पूर्ण है। खैर इससे एक बात तो तय है कि आज जैसा की हमारे बड़े बताते हैं अपने आॅफिस की दशा और वहां की मानवीय संरचना पर स्थित व्यवहार शैली अब कहीं नहीं दिखती। नजर आती है, तो मात्र झूठ, फरेब और चापलूसी।

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