अनुभवों ने किया परेशान


जन्म के साथ ही हमें बिन मांगे बहुत कुछ मिलता है। प्रेम, स्नेह, ममता और वातसल्यता। इन्हीं क्रमों में एक चीज और मिलती है। वह है अनुभव। यह प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप में हमारे आस-पास रह हमें जीवन के गुण सिखाने का निरंतर प्रयास करती रहती है। समय के साथ इसके व्यवहार में बदलाव आता है और यह अनुभव हमारे विचारों पर हावी हो अपने प्रभुत्व को कायम करने में लग जाती है। यह अपने विचार और व्यवहार को सर्वोत्तम सिद्ध करने के लिए हम पर हावी हो हमें परेशान अथवा समस्याओं का समाधान करने में जुट जाती है। यह अपने बृहद अनुभवों से हम पर प्रहार कर हमारे मनोभाव को प्रभावित करती है। हमें विह्वल या विचलित कर अपने संरक्षण में लेते का प्रयास करती है। वाकई में बहुत अद्भुत होती है अनुभव और अनुभवियों की विचार लीला।
अब आपकों इन अनुभवियों की चारित्रिक गुणगान सुनाता हूं। यह देखने में सामान्य, किंतू समाज में यह अग्रणी बनने की ललक में जुटे रहते हैं। कभी भी ये यह पसंद नहीं करते कि कोई उनका कनिष्ठ किसी अन्य के अनुभव से प्रभावित हो। इनकी एक बड़ी संख्या मृदुभाषी है। इनमें बहुत कम ही ऐसे प्राणी हैं जो कठोरता और उदंडता के दम पर अपने अनुभव थोपते हैं। लेकिन यहां यह स्पष्ट कर दूं कि यह निश्चित तौर पर बहुत कम हैं, लेकिन इनमें सबसे प्रमुख गुण है वह यह है कि यह कनिष्ठ की उपेक्षा नहीं बर्दाश्त कर पाते। यह ऐसी दशा में किसी भी हद तक जाकर अपने अनुज या निम्न साथी को प्रभावित करने से नहीं चुकते। वहीं मृदुभाषी अनुभवी अपनी संस्कृति, भावशैली, धर्मज्ञता और नैतिक आचरण से लोगों को प्रभावित करते हैं। इनसे लोग बहुत जल्दी प्रभावित भी होते हैं। लेकिन ये अपने अनुभवों से उसे तौलना शुरू कर देते हैं। यदि सामने वाला कमजोर महसूस हुआ तो उसे अपने संरक्षण में अपना अनुयायी बनाने में लग जाते हैं और समय-समय पर उसके साथियों के बीच उसकी कमजोरी का मजाक बनाते हैं। किंतु स्वयं नैतिकता की चादर उस समय भी ओढेÞ रहते हैं।
इन दोनों में एक गुण सामान्य तौर पर आपको नजर आ जाएगी। वह है दशकों में घटित हुए किस्से और कहावते। जिसमें वह सदैव एक हीरों की भांति विद्धमान रहते हैं। वह अपने पूर्ण जीवन काल में कभी भी कोई गलती नहीं किए होते। वह अपनी वर्तमान स्थिति सिर्फ अपने गुणों के बलबूते पाए रहते हैं। वे संस्था और समाज में सबसे अग्रणी होते हैं और समय-समय पर अपने निम्न साथियों से इसका प्रदर्शन किए बिना नहीं रह पाते। ये अनुभवी लोग अपने दशकों के ज्ञान को अपने जूनियर साथियों पर थोपते हैं और उनकी कमजोरी को दहाड़कर उसको यह जताते रहते हैं कि वह जहां है उसी योग्य है। और उनको आपकी कमजोरी का हल मालूम है, इसलिए वह आपका सर्वोच्च अधिकारी है।
अनुभवियों की चरित्र लीला पर कोई बात न करें तो ही ज्यादा अच्छा होगा। क्योंकि इनके अनुयायी बहुत होते हैं। यह अपने पद और झूठी नैतिकता के आधार पर अपने आस-पास हावी रहते हैं। इनके विरोध में कोई भी स्वर वातावरण में नहीं गूंजती। आखिर कोई किसलिए बोले भी। इन्होंने इसकी इतनी गलतियां जो गिना रखी है। भविष्य में उसके लिए यह घातक बीमारी भी बन सकते हैं। ऐसे में चूप रहने का प्रीकॉशन लेना बहुत जरूरी बन जाता है। हां ये कमजोरियां वह अब सिर्फ तभी खत्म हो पाएंगी, जब आप किसी अन्य जगह के अनुभवी के पास नहीं पहुंच जाते। क्योंकि आप वहां पर पूर्व की कमजोरियों को प्रयोग में नहीं लेंगे और वह आप पर हावी नहीं होगा। लेकिन आप ज्यादा देर तक यहां पर भी नहीं बच पाएंगे। कुछ न कुछ दोष अथवा गुण वह ऐसा खोज ही लेगा, जिससे वह आपपर हावी हो सके। यहां दोष मात्र ज्ञान व शिक्षा तथा कार्यकौशल से नहीं है, बल्कि आपकी वैचारिक स्थिति, मनोभाव, व्यवहार, लालसा, इच्छा और सपना कुछ भी वह अपने प्रयोग में ले सकता है। ये अनुभवी लोग आपको पहले दिन से ही वॉच करते रहते हैं और जल्द ही यह आपको पढ़कर अपने अनुभवों का पिटारा आपके माथे पर पटक देते हैं।
मैं जानता हूं कि आप इन अनुभवियों से घबराते हैं और इनसे दूर रहना चाहते हैं। यह रिश्तों के तौर पर पहले ही आपका भेजाफ्राई कर चुके हैं और अब आप कार्यस्थल पर ऐसे अनुभवियों का साथ नहीं चाहते हैं। आप एक ऐसे साथी की तलाश करते हैं जो आपके कार्य दक्षता में निखार लाए और अच्छे मार्गदर्शक की भांति आपका मार्ग प्रसस्त करे। आपको उनके दशकों के अनुभव प्रयोग के तौर पर चाहिए, न की एक फतवे या कानून की तरह। आप उनका सम्मान उम्र और पद के आधार पर नहीं करना चाहते, बल्कि ज्ञान, प्रबुद्धता और एक सच्चे साथी के तौर पर करना चाहते हैं। आप नहीं चाहते कि वह आपकी कमजोरी को अपना हथियार बनाए। लेकिन वह ऐसा करने से नहीं बाज आते। सबसे दुखद बात यह है कि यह अनुभवी हमें हर जगह, हर समय और जीवन के अंतिम चक्र तक यूं ही अपने अनुभवों से परिचित कराते रहेंगे और हम सिर्फ मूंक हो उनकी कठपुतली का व्यवहार अदा करेंगे।

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