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आप सिर्फ खुशी नहीं ख्वाब और हकीकत हैं

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आप सिर्फ खुशी नहीं ख्वाब और हकीकत हैं  आप मेरी सांस, स्नेह और सुखों का स्वरूप हैं।  इश्वर का उपहार ही नहीं, आप इश्वरीय व्यवहार हैं  आप मेरे हृदय का स्पंदन और दिल का दीदार हैं।।  इस सृष्टि के हर ग्रंथ और श्रुतियों के समान  मेरे लिए प्रेम ग्रंथ का रसधार हैं।  आप मुझमें बसीं आत्मतृप्ति और मोक्ष का आधार हैं  स्नेह, करुणा, मानवता से लबरेज मित्र व्यवहार हैं।  प्रेम के उपवन में बसी खुशबू की तरह  आप मेरे जीवन का श्रृंगार हैं।  💐💐🌺🌺💐💐

तेरा हूं मैं ताउम्र भर

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  वक्‍त , व्‍यवहार , वादा और ये वर तेरा हूं मैं ताउम्र भर। साथ मेरा , स्‍नेह और समर्पण   प्रेम मेरा है तेरे संग जीवन भर।। कर्म मेरा , धर्म , धैर्य और धीरज तुझ संग बीते हर वक्‍त पल-पल।। प्‍यार मेरा यदि कुआं था तो मैं हर रोज बदलूं और तालाब , नदी से गुजरते इश्‍क का सागर बन जाउं। यदि खारापन हो आज तो कल को खरा , स्‍वादिष्‍ट अमृत सा मधुशाला बन जाउं। आज जैसे कल न मिलूं पर आने वाले वक्‍त की सुंदरता का सौंदर्यशास्‍त्र बन जाउं। तेरी मुस्‍कान बन जाउं। तेरा मान , सम्‍मान तेरा गुरूर बन जाउं। तेरी आंखों की चमक और तेरे लबों पर बीखरी मुस्‍कान बन जाउं। बस मैं तेरा रहूं और तेरे प्रेम में रांझा बन जाउं।

इश्क का आशियाना बना दिया

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मैंने सबको चुना, उसने मुझको चुना  रिश्ते से प्यार मैंने तो उसने प्यार से रिश्ता इश्क  बनके बुना।।  मैंने चाहत की चाहत में जीना सीखा उसने प्यार के पथ पर प्रेम का हमसफर देखा।।  मैंने दुनिया से प्यार खोजा पाया  उसने प्यार को ही मेरी दुनिया में भरा।। मैं अकेला रहा, तन्हा भटकता फिरा  वो आई और मेरे पास ही इश्क का आशियाना बना दिया।।  आपके बेइंतहां प्यार के लिए दिल से इश्क  का बाजार भेजता हूं  फूल, गुलदस्ता, झूला और रोशनी से रोशन दिल भेजता हूं।। 

तूं दुर्गा, लक्ष्‍मी, सती, चंडी, कोई देवी न बन

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तूं दुर्गा , लक्ष्‍मी , सती , चंडी , कोई देवी न बन बनना है तो सिर्फ इंसान बन।। भूल और गलती के अधिकगर से खुद को वंचित न कर घर को मत बना मंदिर और गर्भगृह की मूरत न बन।। इंसान है और गलतियां तुझसे भी होंगी माफी के लिए सिर्फ और सिर्फ इंसान बन।। दया , धर्म , संस्‍कृति और सभ्‍यता की पोषक न बन मानवता की परिधि में गतिमान विज्ञान बन।। घर की दहलीज की लाज और लज्‍जा न बन राजनीति की पुरोधा और हर चौपाल की प्रधान बन।। बड़ा या विशाल कद वाली अनोखी नारी न बन इंसानों जैसी , इंसानों में बराबर के अधिकार वाली इंसान बन।। तोहफा , छूट , फ्री और खास दिवस में न सिमट हक-अधिकार को शिक्षा और बराबरी से ले सशक्‍त बन।। न डर , आगे बढ़ , तेरा भी ये पूरा जहां है अधिकारों को अब न मांग , हक से अपने अधीन कर।। देवी न बन , बनना है तो सिर्फ इंसान बन।। ---------------------------------------***------------------------------------------- मुझे चांद की तरह तुम पसंद नहीं हो न फूलों की तरह मुलायम , न कठोर मूरत।। मूझे मक्‍खन , मलाइ और दूध सी तुम पसंद नहीं हो न कोमल , मासूम , लाचार या दया की भिक्षु।। मुझे ...