दोस्तों को दूर कर, उन्हें याद बनाते ही क्यूं हैं।
दोस्तों को दूर कर, उन्हें याद बनाते ही क्यूं हैं।
जब वो आपके पास रहते हैं तो उन्हें जलाते क्यूं हैं।
वो जब जिंदगी भर साथ दे सकता है तो ..
उसको गुनहगार बनाते ही क्यों हैँ।
दोस्तों को दूर कर, उन्हें याद बनाते ही क्यों हैं।
जानकर भी की वो सिर्फ आपका और आपका ही है,
फिर उसे सताते क्यूं हैं।
सारी खुशियां आप पर लुटा सकता है,
फिर भी उसे तड़पाते ही क्यूं हैं।
दोस्तों को दूरकर, उन्हें याद बनाते ही क्यूं हैं।
आपके करीब रहता है तो उसे भगाते क्यूं हैं।
आपको सबके सामने अपना कहता है तो घबराते क्यूं हैं।
उससे भी होंगी गलतियां, वह खुदा नहीं यह समझते क्यूं नहीं हैं।
दोस्तों को दूर कर, उन्हें याद बनाते ही क्यूं हैं।
हर वक्त आपके लिए लुटने को रहता है तैयार, फिर उसे धमकाते क्यूं हैँ।
वो तो बस आपको और आपको ही अपना मानता है, उसे समझते क्यूं नहीं हैं।
दोस्तों को दूर कर, उन्हें याद बनाते ही क्यूं हैं।
चलना चाहता है जब साथ आपके वह जिंदगी भर, फिर दुसरे की तलाश करते ही क्यूं हैं।
आपकी वफा पर अपने को रहता है कुर्बान करते को, फिर उसे यूं रूस्वाकर दूर भगाते क्यूं हैं।
दोस्तों को दूर कर, उन्हें याद बनाते क्यूं हैं।
आखिर दोस्त को दूर कर, उसे याद बनाते क्यूं हैं।
esme ek dost ne dost ko javab jiya tha... pahle dost ki baat thi.... जब याद का किस्सा खोलूं तो कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं. मैं गुजरे पल को सोचूं तो कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं..अब जाने कौन सी नगरी में आबाद हैं जाकर मुद्दत से....मैं देर रात तक जागूं तो कुछ दोस्त बहूत याद आते हैं ... कुछ बातें थी फूलों जैसी, कुछ लहजे खुसबू जैसे थे...मैं शहरे चमन में टहलू तो कुछ दोस्त बहूत याद आते हैं....वो पल भर की नाराजगियां और मान भी जाना पल भर में ...अब खुद से भी जो रूठूं तो कुछ दोस्त बहूत याद आते हैं .....
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