कहीं आप अपने बच्चों को तो नहीं बना रहे मनमाना
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| @adityadev #adityadev |
आज अक्सर मां-बाप को यह कहते सुन सकते हैं कि हमारा बच्चा तो मनमाना हो गया। यह किसी की अब सुनता ही नहीं है। आखिर वह क्यों सुने। जब वह कुछ नहीं जानता था तब आपने ही मोबाइल के नीले प्रकाश में दूध पिलाना और भोजन कराना सिखाया। बिना एनिमेटेड गीतों के उसे कुछ भी खाना पसंद नहीं आता, आपने गर्व से बताया। समय के साथ उसकी समझ बढ़ी तो आप अपने आराम के लिए उसे टीवी के आगे बैठाकर घंटों दूर रहने लगे। आपको पता हैै जब उसे आपसे कुुुछ सीखना था, तब उसका परिचय हुआ छोटे भीम से। उसने उस छोटे भीम से दोस्ती कर अपनो को भुला दिया। लड़डू खाना और लड़ना उसकी समझ का हिस्सा बन गया। इसके बाद परिचय हुआ टॉम एंड जेरी से। इन्होंने आपस में कलह, मार व झगड़े को नैतिक व्यवहार के तौर पर उनमें भर दिया। जब आप उसके साथ इनके झगड़े देख हंस रहे थे, तब आपका बच्चा इसी व्यवहार को वास्तविक मान जीवन में उतार रहा था। रही सही कसर डोरेमोन ने पूरा कर दिया। वह, नोबिता और उसकी टीम ने जादू से या दूसरे के सहारे अपना काम निकालना सिखाया। आलस, लालच व हर बात में रोकर काम निकालने की प्रवृति बच्चों में आ गई। निंजा हैटरी ने उधम की सीख दी तो सीनचेन ने नकारापन से भर दिया। मिस्टर बीन बच्चों को चालाकी करना जब सिखा रहे थे, तब ऑगी एंड कॉक्रेचेज बच्चों को जीव सेवा से दूर कर हत्या के प्रयास के लिए जागृत कर रहा था। हेगेमुरु, मोटू-पतलू व चैपलिन से बच्चों को बहुत कुछ सीखने को मिला। शारीरिक बनावट पर हंसना। किसी की गलतियों पर उपहास उड़ाना। सब बातों को मजाक समझना और धीरे-धीरे माता-पिता की बातों को भी इसी संदर्भ में लेकर हवा में उड़ा देना। आपकी दूरी और बच्चों को मोबाइल व टीवी की दुनिया में छोड़ना उसकी आंख के लिए शायद कम नुकसानदेह हो पर उसके विचार व व्यवहार के लिए निश्चित ही ठीक नहीं है। पकड़म पकड़ाई, बंदबुध और बुड़बक, द रोबोट ब्वॉय, इंस्पेक्टर चिंगम, लिटिल सिंघम, चोर पुलिस, शिवा, रोबिन हुड व एंडी पिर्की आदि जैसे कार्यक्रम, एक ही झटके में बच्चों की मासूमियत को जख्मी कर उनमें आक्रोश, गुस्सा, संदेह, भय आदि मनोविकार को भरने लगते हैं। आपका कम वक्त देना और पारंपरिक खेलों से दूरी आज बच्चों को हाजिर जवाबी तो बना देंगे, पर वह इन्हें उम्र से काफी बड़ा भी बना रहे हैं। इन्हें अकेला रहने व स्क्रीन पर वक्त बिताने की आदत से भी प्रभावित करते हैं। इसके बाद वह आपके व रिश्तेदारों संग वक्त बिताने से बेहतर टीवी, मोबाइल व कंप्युटर पर समय बिताने को उचित मानते हैं। आपसे बात करना व समय बिताना बोरिंग लगने लगता है। वह आपके साथ घूमने से बेहतर टीकटॉक व लाइकी जैसे एप पर वक्त बिताना और अपने वीडियो शेयर करने को ज्यादा अच्छा काम मानने लगते हैं। इनके लिए रिश्ते का मतलब बस जरूरत तक सीमित हो जाता है। आपकी आज की अनदेखी कल आपके लिए ही नहीं समाज व देश के लिए भी उचित नहीं है।

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