आज मैंने स्टेटस देखा

आज मैंने मोबाइल स्टेटस देखा
अपना नहीं बहुतों का देखा।
अपने अपनों व सपनों को देखा
अच्छी-अच्छी बाते देखा।
भाई, दीदी, पापा-मम्मी को देखा
दिवस, दिन, रिश्तों का महोत्सव
देखा।
स्टेटस पर प्रेम का बहता दरिया देखा
सहयोग, साथ, सेवा को देखा।
भक्ति देखी, करूणा देखा
दया, दान, भाइचारे को देखा
दान-दक्षिणा, लंगर-भंडारे को देखा
मौन को भी कर्म का बखान करते देखा।
एक फोन कॉल से अब इनकी बातों को देखा
अपनों को भी मझधार में डूबाते देखा।
तड़पते, रोते, परेशान और कराहते देखा
सिर्फ स्टेटस पर ही मानवता को सजते देखा।
रिश्तों की मधुरता को अब तस्वीरों में देखा
स्टेटस पर ही अब सिर्फ परिवार को देखा।













































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