संदेश

आय में दिल्ली वालों ने दी गोव और चंडीगढ़ को मात

चित्र
आदित्य देव पाण्डेय  राष्ट्रीय राजधानी में आप सरकार के सत्ता में आने के बाद से सरकारी नौकरियों के लिए यहां के युवा तरस रहे हैं। गत तीन वर्षों से दिल्ली में कोई वेकैंसी नहीं निकली। लेकिन, दिल्ली के उपमुख्यमंत्री का दावा है कि दिल्ली वालों की प्रति व्यक्ति आय देश में सबसे अधिक है। दिल्ली ने गोवा और चंडीगढ़ को भी पीछे छोड़ दिया है। नोटबंदी, प्रदूषण और ट्रैफिक जाम जैसी दिक्कतों से दो चार हो रहे राजधानी वासियों के लिए यह राहत भरी खबर है। राष्ट्रीय आय से यदि राजधानी की तुलना करें तो भी दिल्ली की आय तीन गुनी है। उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने बताया कि 2016-17 के लिए प्रति व्यक्ति आय का 3,03,073 रुपये रहने का अनुमान है जबकि 2015-16 में यह 2,73,618 रुपये थी। बीते साल के मुकाबले गत वर्ष इसमें 10.76 फीसदी की वार्षिक वृद्धि हुई है। जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह बढ़ोत्तरी 10.2 फीसदी है। राष्ट्रीय स्तर पर 2016-17 में प्रति व्यक्ति औसत आय 1,03,818 रुपये आंकी गईहै। बता दें कि दिल्ली का स्थान सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश में पहला है। रिपोर्ट पर नजर - गोवा 2,70,150 रुपये की प्रति व्यक्ति आय ...

सीलिंग के चाबुक से कराहती दिल्ली

चित्र
आदित्य देव पांडेय दिल्ली में बढ़ती आबादी आज अव्यवस्था का रूप लेती जा रही है। ऐसे में इससे जन्म लेने वाली समस्याओं से निपटने के लिए सरकार कई तरह की पहल करती रहती है। इसी क्रम में सीलिंग को भी सरकार एक साकारात्मक पहल मानती है। हालांकि इससे व्यापारियों और उद्योगपतियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। उनका कहना है कि नगर निगम बिना नोटिस के अचानक कार्रवाई कर रही है। वहीं निगम नियमों की अनदेखी का हवाला दे कार्रवाई कर रही है। सीलिंग के चलते दिल्ली की 7 लाख दुकानें बंद हो जाएंगीं। निगम राजधानी के कई क्षेत्रों में तेजी के साथ सीलिंग का चाबुक चला रही है और इसे कड़ाई साथ पालन करा रही है। ऐसे में निगम कर्मियों को जहां छतरपुर आदि क्षेत्रों में व्यापारियों का विरोध सहना पड़ा। वहीं डिफेंस कॉलोनी के व्यापारियों को हाईकोर्ट ने सीलिंग से राहत न दे व्यवस्था को प्रमुखता पर रखने की चेतावनी दी है। दिल्ली के छतरपुर इलाके में सीलिंग टीम को मार्बल व्यापारियों के कड़े विरोध ओर आक्रोश का सामना करना पड़ा। यहां क्षेत्र के व्यापारी और नागरिक सीलिंग के विरोध में सड़कों पर बैठ गए थे। लोगों की नाराजगी को देख ...

दस बाई बारह- part 1

चित्र
आदित्य देव पांडेय चेहरे पर मुस्कान लिए कल्पना अपने ख्यालों में खोई हुई थी। वो भी क्या दिन थे। आदित्य देव पांडेय बीएचयू से स्नातक फिर परास्नातक किया। विश्वविद्यालय में आयोजित हर कार्यक्रम में भाग जरूर लेती। यदि कभी नाम लिस्ट में नहीं होता तो सहेलियां जबरन डलवा देतीं। अनामिका मैम जो विभागाध्यक्ष  थीं, वो भी अथक स्नेह रखतीं थीं। घर पर भी कितना मजा आता। कृतिका, स्नेहलता, उर्मिला और वो गोलगप्पा मेरी लाडो सृष्टि हर शाम घर आ जाती। कभी अस्सी, गोदौलिया तो कभी बीएचयू कैम्पस व वीटी में शाम गुजरती। स्कूटी निकाली, चेहरे पर कपड़ा बांधा और निकल गए सैर पर।। .... ओ महारानी क्या कर रही हो कमरे में। व्हाट्सएप या अपने मम्मी पापा से मेरे को मरवाने की फोन पर प्लानिंग कर रही हो। सासु मां ने बड़े गुस्से में कल्पना को पुकारा। कल्पना को वो नाम से नहीं तानों से ही सम्बोधित करती थीं। शुरू में कल्पना इससे काफी आहत हुई। बहुत रोई। मम्मी पापा को भी बताई। अपनी किस्मत को भी कोसी। पर कोई फायदा नहीं हुआ। सासु मां का रवैया दिन ब दिन और रूखा ही होता गया। कल्पना के पिता जी भी आए कि सासु से बात कर हल निकाल लेंगे पर ...

संवरने के इंतजार में अस्तित्व खोती यमुना

चित्र
आदित्य देव पाण्डेय देश की राजधानी दिल्ली में यमुना को सजाने, संवारने को लेकर सरकारों ने वादे तो बहुत किए। पैसे भी काफी आवंटित किए पर जमीनी स्तर पर सब कुछ सिफर रहा। आज यमुना के हालात यह है कि वह नदि से ज्यादा नाला नजर आने लगी है। यमुत्रोत्री से स्वच्छ व स्वेत निकलने वाली यह दिल्ली में घोर काली नजर आती है। दशकों से स्वच्छता के वादे सिर्फ छलावा बनते नजर आ रहे हैं। दिल्ली का वजीराबाद बैराज यमुना के मैले आंचल का गवाह है। यहीं से यमुना दिल्ली मे प्रवेश करती है और इसी जगह पर बना बैराज यमुना को बढ़ने से रोक भी देता है। यहां यमुना एक तरफ साफ और दूसरी ओर मैली नजर आती है। यहां नदी का सारा पानी उठा लिया जाता है और जल शोधन संयत्र के लिए भेज दिया जाता है ताकि दिल्ली को पीने का पानी मिल सके। आइए जानते हैं दिल्ली की समझ, जरूरत और यमुना की बदहाली की दास्तान...       उत्तराखंड के टिहरी-गढ़वाल जिले में यमुनोत्री का उद्गम स्थल है और यह इलाहाबाद में जाकर गंगा नदी में समाहित हो जाती हैं। यमुनोत्री ग्लेशियर से निकलने और इलाहाबाद के गंगा में मिलने के बीच यमुना नदी की कुल लम्बाई 1367 किल...

दिल्ली की सड़कें तालाब बनने को तैयार, लगेंगे जाम

आदित्य देव पाण्डेय देश की राजधानी दिल्ली में जिसे राजनेता यूरोपीय देशों की राजधानी की तरह बनाने का सपना दिखाते हैं। लेकिन, जब धरा पर आकर देखा जाए तो यहां मोहल्लों में गंदगी और सड़कों पर गड्ढे साफ नजर आएंगे। खैर हम गंदगी और कचड़े की राजनीति में न उलझ आज मानसून और सड़कों की समस्या पर अपना ध्यान आकर्षित करेंगे। राजधानी में मानसून ने अपनी पहली दस्तक 19 जून को दे दी। इसी के साथ प्रशासन की व्यवस्थाओं की पोल भी खुल गई। दिल्ली की करती 100 से ज्यादा प्रमुख सड़कें जलमग्न हो गईं तो लोगों को घंटों जाम के बीच रहना पड़ा। इससे यह तो स्पष्ट हो गया कि बरसात को लेकर प्रशासन की व्यवस्थाएं अपूर्ण हैं।  बता दें कि प्रशासनिक एजेंसियों ने 2016 में ट्रैफिक पुलिस द्वारा सौंपी सूची वाली सड़कों की भी मरम्मत नहीं की है। ऐसे में मानसून की पहली ही बारिश में दिल्ली की सड़कें तालाब बनी नजर आईं।  राजधानी दिल्ली की सड़कों की हालत अंतरराष्ट्रीय स्तर तो छोड़िए किसी छोटे शहर जैसी कह सकते हैं। सबसे बड़ी बात की यहां की सभी प्रमुख सड़कें 60 फीट चौड़ी हैं, लेकिन ट्रैफिक व्यवस्था के नाम पर सिर्फ चालान है। यदि राजधानी के...

कब होगा काम पूरा

चित्र
दिल्ली के यमुनापार और एनएच-1 को यूपी के हाईवे से जोड़ने वाला सिग्नेचर ब्रिज (पुल) के चालू होने की तारीख मिल गई है। माना जा रहा है कि यह आधुनिक और खूबसूरत पुल 2017 के सितंबर माह तक बन जाएगा। इस पर 1225 करोड़ रुपये अभी तक खर्च हो चुके हैं। वहीं इस पर और कितना खर्च और होगा इसका अनुमान अभी भी नहीं लगाया जा सकता है। बता दें कि यह पुल 2008 से ही निर्माणाधीन है।  वर्ष 2010 में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में कॉमनवेल्थ गेम्स होने थे। इसी के मद्दे नजर इस पुल की आधारशिला 2008 में रखी गई, ताकि कॉमनवेल्थ गेम्स से पहले यह बन सके। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अब तक इसके बनने की अनुमानित तारीख में आधा दर्जन बार बदलाव किया जा चुका है। 2010 में केंद्र में बैठी कांग्रेस सरकार ने इसे ढाई साल में पूरा करने का दावा किया था। अब 2017 आ चुका है, लेकिन गत अनुमानित तिथि सितंबर में भी काम पूरा होने जैसा नजर नहीं आ रहा।  पीडब्ल्यूडी मंत्रालय सत्येंद्र जैन के अनुसार, पूर्व सरकार ने 1131 करोड़ रुपये इस प्रोजेक्ट पर खर्च किए, फिर भी निर्माण अधूरा है। वर्तमान सरकार इस प्रोजेक्ट में आने वाली खामियों को दूर कर इसे...