अकेला हूँ, खामोश हूँ

अकेला हूँ , खामोश हूँ आज खुद से भी दूर हूं। एक अपने की तलाश में आवेश का शिकार हूं। क्रोध से अकाल हूं प्रेम का विकार हूं। अकेला हूं , खामोश हूं। आज मन का कंगाल हूं।। श्वेत पर लगा दाग हूं चमक धोता वैराग हूं। बुझता हुआ राख हूं सूखे जलज का पाक हूं। अकेला हूं , खामोश हूं। आज अपराध का उद्गम भाव हूं।। व्याकुलता का राज हूं अनकही कोई बात हूं। उलझी डोरियों की गांठ हूं कटीले पथ का आघात हूं। अकेला हूं , खामोश हूं। आज कठोरता का प्रहार हूं।। मैं कुंठा हूं , अवसाद हूं दुखों का सरताज हूं। सुख का शत्रु मैं अनंत कष्टों का प्रकार हूं। अकेला हूं , खामोश हूं। आज हर व्यक्ति का व्यवहार हूं।। --------------------***