फिर इश्क से मुलाकात हुई
एक अरसे बाद इश्क से मुलाकात हुई
शिमला में सर्द हवाओं में चंद बात हुई।
उनके कांपते बदन पर शॉल ओढ़ाते हुए
प्यारे जज्बातों से दोबारा मुलाकात हुई।
सांसों से निकलते उन गर्म हवाओं में
सादे प्यार के बादलों की अंगड़ाई दिखी।
मॉल रोड के शोर में खड़े थे मगर
उनकी धड़कनों में मिलन की मधुर धुन सुनी।
चलते-चलते जो छू गईं उनकी छोटी उंगलियां
बड़े कदमों ने फिर धीमे होने की एक धुन चुनी।
छोटी राहों पर लंबे जज्बातों को संवारते हुए
उनकी बातों में प्यार की बड़ी अंगड़ाई दिखी।
पर्वत से झांकती नजरों में नजारे बहुत थे
चाहतों की चादर से ढकी फिर एक प्रेम कहानी दिखी।
बातों का सिलसिला गर्म हो रहा था
हाथों में हाथ लिए वो अब सामने खड़ी दिखी।
पुरानी भूल को सही करने की जिद थी मानों
अधरों पर अधर के मेल से संवरती आज वो शाम थी।
पछतावा, पाप, अपराध का बोध छलावा बन गया तब
मानों हीर की बाहों में समाहित रांझे की मीत दिखी।
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