मैं दुआ करूंगी
विभा बघेल
आज मै आपको यह बताना चाहती हूं कि जितने बड़े अपराधी और हैवान लड़की का बलात्कार करने वाले थे, उससे कम बड़े अपराधी वो लोग नहीं जो उस सड़क से गुजरे होंगे, लेकिन सड़क पर जखमी पड़े दो लोगों को देखकर रुकने की जरूरत नहीं समझी होगी। वास्तव में मेरा मानना है कि हिम्मत सलमान खान और अक्षय कुमार की तरह एक्शन और स्टंट सीन्स करने में नहीं होती। हिम्मत अपने आस-पास हर रोज, हर लम्हे लिए जाने वाले एक्शन में होती है, जिसमें दूसरों की मदद करना, दूसरों का सम्मान करना और सही-गलत की पहचान करना होता है।
वास्तव में देखा जाए तो लड़की होकर पैदा होना किसी दुनिया में, किसी देशकाल में, किसी तरह के वातावरण में आसान नहीं रहा। लेकिन अगर देश और समाज बदलाव की किसी गहरी और तेज प्रक्रिया से होकर गुजर रहा होता है तो उसका सबसे बड़ा खामियाजा लड़कियों को ही भुगतना पड़ता है। तुम जितनी तेज रफ्तार से अपनी आजादी की ओर बढ़ोगी, अपने हक में आवाज उठाओगी उतनी ही तेजी से तुम्हें अपमानित किए जाने के रास्ते ईजाद किए जाएंगे। इनमें से सबसे आसान तरीका तुम्हारे जिस्म पर, तुम्हारी अस्मिता पर हमला करना होता है। कुछ ऐसा कर दो कि तुम्हारे आस-पास भी कोई तुम्हारी तरह हो पाने की हिम्मत ना कर सके।
ऐसे में हर महिला से मैं इतना ही कहूंगी कि अपना भरोसा बचाए रखना। हिम्मत रखना क्योंकि तुम्हारे घर में बैठ जाने से, बस में नहीं बैठने से कोई समस्या हल नहीं होगी। हमला होना ही होगा तो घर में भी तुम महफूज हो, कहना मुश्किल है। फिर भी झूठा ही सही, यकीन रखना कि तुम्हारी गहरी सांसों की जुंबिश समझने वाला कोई होगा कि दुनिया में हर दस दरिंदे पर एक इंसान है, मैं भी ऐसी ही किसी बात पर पुख्ता यकीन करना चाहती हूं। यकीन रखना कि तुम्हें गले लगाने की ख्वाहिश रखने वाला हर वक्त नजर से तुम्हारे शरीर को तौल रहा हो, यह जरूरी नहीं। यकीन रखना क्योंकि मेरे भीतर भी यह यकीन किसी ना किसी तरह फिर भी बाकी है। इसके साथ ही, नजर से जिस्म को तौलने वालों की आंखें निकाल लेने का हुनर अब हर नारी को सीखना होगा, जो नामुमकीन सा है। लेकिन उनकी आंखों में वापस आंखें डालकर घूर देने का तरीका तो आप लोग सीखा ही जाइए।
पीड़िता यानी निर्भया तो मर गई। उसका अंतिम संस्कार भी हो गया। अंतिम संस्कार का मतलब संस्कारों का वो अंतिम जनाजा है जिनपर हम ताजिंदगी अमल तो कर नहीं पाते, मरने के बाद मरने वालों के लिए अंतिम संस्कार के नाम पर कुछ ढकोसले जरूर करते हैं। यह ढकोसला राजनीतिक और सार्वजनिक तौर पर हुआ है जिससे परिवारवालों का कोई वास्ता नहीं रहा। मैं अपने और आप स•ाी महिलाओं के लिए एक महफूज दुनिया का दुआ मांगूंगी, लेकिन फिर भी इस दुनिया के सच को याद रखना कि वो महफूज दुनिया भी एक छलावा ही होगी।
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