कमजोरी को दशमूलारिष्ट से करें बाय बाय
सेहत का साथी दशमूलारिष्ट एक प्राचीन औषधि है।
कमजोरी, तनाव, अवसाद व थकान को
दूर भगाने के लिए दशमूलारिष्ट सबसे बेहतर विकल्प है। पोषण और ऊर्जा के दृष्टिकोण
से यह महिलाओं के लिए किसी अमृत से कम नहीं है। प्रसव के बाद कमजोरी व तनाव से
उबरने में यह काफी उपयोगी है। प्रसूता के स्वास्थ्य का यह ख्याल रखता है। यह
महिलाओं को मातृत्व के लिए कठोरता व सहन शक्ति के लिए शारीरिक रूप से काबिल बनाता
है। यह पाचन तंत्र के साथ अस्थियों, मांसपेशियों व जोड़ों को मजबूत कर महिलाओं
में भरोसा व साहस पैदा करने में भी पूरा सहयोग देता है।
आयुर्वेद का है वरदान
दशमूलारिष्ट शतप्रतिशत आयुर्वेदिक
टॉनिक है। ऐसे में इसका तनिक भी दुष्प्रभाव नहीं है। यह कई बीमारियों को जड़ से
खत्म करने के साथ ही महिलाओं को पूर्ण स्वस्थ रखने में मदद करता है। यह तो आप
जानती ही हैं कि महिलाओं को सबसे अधिक कमजोरी का डर सताता है। खास तौर से प्रसव के
दौरान सबसे अधिक कमजोरी का सामना करना पड़ता है। ऐसे में दशमूलारिष्ट महिलाओं की
कमजोरी व थकान को पूर्ण रूप से दूर कर ऊर्जावान बनाने में सहयोग करता है।
तन और मन बने बलवान
महिलाओं व युवतियों को शारीरिक, मानसिक व व्यवहारिक तौर पर मजबूत करने में दशमूलारिष्ट सबसे अच्छा साथी
है। यह किसी अमृत से कम नहीं है। इसके उपयोग के बाद कमजोरी छू मंतर हो जाती है।
पेट और पाचन को दुरूस्त कर यह आपको अनेकों अनावश्यक रोगों से बचाकर रखता है। ऐसे
में आपकी त्वचा में इसके प्रयोग के बाद एक चमक आ जाती है और आपका मनोबल बढ़ता है।
दशमूलारिष्ट की एक बेहतर खूबी यह भी है कि यह आपको अंदर से काफी मजबूत कर देता है।
इसके चलते आप बाहरी जिवाणुओं व विषाणुओं से भी सुरक्षित रहती हैं। ऐसे में आपकी स्टेमिना
काफी बढ़ जाती है और आप ताकतवर तो होती ही हैं, साथ
ही आपमें सहनशक्ति बढ़ती है।
मासिक धर्म से राहत में सहायक
दशमूलारिष्ट
सभी प्रकार की आंतरिक व वाह्य कमजोरी और थकान को दूर रखने में सहायक है। महिलाओं व
युवतियों को मासिक धर्म के वक्त दर्द से राहत देने में काफी मददगार है। लेकिन, किसी भी प्रकार की औषधि लेने से पहले एक बार चिकित्सक की सलाह जरूर ले लेनी
चाहिए। वहीं दशमूलारिष्ट की मात्रा का भी ख्याल रखना जरूरी है। इसे सुबह-शाम
दो-दो चम्मच आधा कप पानी के साथ लेना उचित है। पानी यदि गर्म करने के बाद पीने
योग्य किया गया हो तो ज्यादा बेहतर होगा। इसका सेवन आप 40 दिन तक लगातार कर सकती
हैं। ऐसे दो हफ्ते के लिए भी इसका सेवन किया जा सकता है। ऐसे तो इसे भोजन के बाद
लेना ज्यादा बेहतर माना जाता है, लेकिन आप चाहें तो अपने
शारीरिक स्थिति के आधार पर चिकित्सक से सलाह ले सकती हैं। माताओं के लिए
दशमूलारिष्ट को बलवर्धक और आयुवर्धक औषधि माना गया गया है। यह महिलाओं के दर्जनों
समस्याओं का जड़ से निदान करने में सक्षम है। इसमें गिलोय, अश्वगंधा, मंजिष्ठा, आंवला, बेल, कंटकारी, दशमूल, श्योनाका, अग्निमंथ, अंगूर, गोखरु, पाटल, अरणी, छोटी कटेरी व बड़ी
कटेरी जैसी अनेकों बहुमूल्य औषधियां हैं।
दशमूलारिष्ट के लाभ
· डिलीवरी के बाद महिलाओं में आने वाली कमजोरी, थकान
व दुर्बलता को खत्म करता है।
· प्रसव के बाद भूख का न लगना, पाचन
खराब होना, गैस इत्यादि का उपचार करता है।
· प्रसव के बाद महिलाओं को होने वाले बुखार से भी रक्षा में सहायक है।
· इसका उपयोग करने
वाली महिलाओं की त्वचा दमकती रहती है।
· यह इम्युनिटी
सिस्टम को शानदार बनाता है और महिलाओं में रोगप्रतिरोधक क्षमता का इजाफा करता है।
· खासी, शर्दी, जुखाम या किसी भी प्रकार के इंफेक्शन से रक्षा करने योग्य शरीर बनता
है।
· पीठ में दर्द हो
या जोड़ों में यह ऐसी शिकायतों को दूर करने में कारगर है।
दशमूलारिष्ट को जानें
यह
एंटी-ऑक्सीडेंट, एनाल्जेसिक, एंटीमिक्राबियल, कायाकल्प
पुनर्निर्माणकर्ता, इम्यूनो-मॉड्यूलेटर
और एंटी-तनाव के तौर पर आज भी चिकित्सा की दुनिया में जाना पहचाना जाता है। यह
पूर्ण रूप से आयुर्वेदिक टॉनिक है और प्रसूता माता के पोषण के लिए काफी उपयोगी है।
दशमूलारिष्ट को माताओं के बीच ताकत का
जरिया माना जाता है। यह मां के स्वास्थ्य व ऊर्जा के लिए बहुत गुणकारी है। इसका
उपयोग जननी के अलावा अविवाहित युवतियां व लड़कियां भी महवारी के दिनों में होने
वाली परेशानी से बचने के लिए कर सकती हैं।
कुपोषण का है काल
आज भी भागदौड़ भरी जिंदगी और डाइटिंग के चक्कर में
गलत निर्णय व व्यवहार महिलाओं को बहुत कमजोर कर देते हैं। ऐसे में लंबे वक्त तक
असंतुलित भोजन करने से महिलाएं कुपोषण का शिकार हो जाती हैं। ऐसे में शरीर कमजोर
होता जाता है और आए दिन किसी न किसी बीमारी की चपेट में आता रहता है। ऐसे में
इसमें मौजूद गिलोय व अन्य जड़ी- बूटियां महिलाओं के शरीर में एंटी-ऑक्सीडेंट और
कई विटामिन्स को जाग्रत करने का काम करते हैं। ऐसे में दशमूलारिष्ट के सेवन के बाद स्वास्थ्य में लगातार सुधार संभव होने लगता
है। यह पाचन तंत्र को ठीक कर महिलाओं को ऊर्जावान बनाता है। इसके अलावा नियमित कब्ज, एसिडिटी व लिवर रोग जैसी
दिक्कतों का उपचार करने में कारगर है। 
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