तेज रोशनी के चक्कर में खतरे में डाल रहे जान
वाहनों में तेज रोशनी का शौक
जानलेवा खतरा बन चुका है। अधिक लाइट के लिए लगाई गई एलईडी हेडलाइट सड़क दुर्घटना
को सबसे अधिक दावत देते हैं। यह वाहन चालकों की आंखों को चौंधिया देती हैं। ऐसे
में वाहन चालक कुछ देर तक अंधेरे के चपेट में आ जाते हैं और हादसे का शिकार हो
जाते हैं। इसके बावजूद लोगों में तीव्र लाइट लगाने की होड़ मची हुई है।
आपको बता दें कि मोटर अधिनियम के अनुसार,
हेडलाइट का ऊपरी एक चौथाई भाग काला रखा या ढका होना जरूरी है ताकि विपरीत दिशा से
आने वाले चालक को दिक्कत न हो। विशेषज्ञों बताते हैं कि एलईडी एक सेकेंड में चार
सौ बार फ्लैश करती है। वे बताते हैं कि बाइक, स्कूटी या कार में जो
एलईडी प्रयोग हो रही है, उसमें फोटान अधिक निकलते
हैं। इसकी चमक सीधे आंखों को असर करती हैं। नियम के अनुसार तो हाईवे पर वाहनों को
अपर लाइट व शहर में डिपर लाइट का प्रयोग किया जाना चाहिए। लेकिन,
अधिकतर चालक शहर, गांव व लोकल एरिये में भी हाईबीम का जमकर
प्रयोग करते हैं। इसके चलते आंखें चौंधिया जाती हैं और चालक हादसे का शिकार हो
जाते हैं। पुलिस अधिकारियों का भी मानना है कि सड़क पर अधिकतर दुर्घटनाएं विजन के
कारण ही होती हैं। हाईबीम की तेज रोशनी चालक को शंका में डाल देती हैं और एक्सीडेंट
हो जाता है।
बीमा कराना बहुत जरूरी
केंद्र सरकार के वर्तमान नए मोटर वाहन कानून के कड़े होने के कारण सड़क हादसे में 10 प्रतिशत तक की कमी देखने को इस साल मिली। आपको बता दें कि भारत में जितने भी हादसे होते हैं उनमें से आधे पीडि़तों को कोई मुआवजा नहीं मिलता। इसका मुख्य कारण इनके पास कोई बीमा पॉलिसी का नहीं होना है। ऐसे में उनके दिव्यांग होने या जान चले जाने पर परिजनों को दिक्कतों से जूझना पड़ता है। बीमा कंपनियों को हर साल करीब 11,500 करोड़ का मुआवजा देना पड़ता है, जो लगातार बढ़ ही रहा है। ऐसे में बीमा तो निश्चित ही हर चालक के लिए जरूरी है। साथ ही, यातायात नियमों का पालन भी उतना ही आवश्यक है। हमारे देश में हर साल 5 लाख सड़क हादसे होते हैं और उनमें से 1.5 लाख लोगों की जान चली जाती है।
खतरे में देश
भारत में हर
साल करीब पांच लाख सकड़ हादसे होते है जिनमें से डेढ लाख लोग अपनी जान गंवा देते
है। डब्ल्यूएचओ का भी दावा है कि 2020 में भारत में होने वाली अकाल मौतों में
सड़क दुर्घटनाएं सबसे बड़ी वजह होंगी। केंद्र सरकार व बीमा कंपनियां लगातार लोगों
को सड़क हादसे के प्रति सचेत कर रही हैं। केंद्र सरकार का यह प्रयास है कि गत दो
वर्षों में सड़क हादसों में हताहतों की संख्या 50 फीसदी कम हो जाए। इसके लिए
कानून को जहां कड़ा किया गया है, वहीं लोगों को भी जागरूक किया जा रहा
है।

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