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ध्‍यान लगाते वक्‍त ये चीजें कर देती हैैं तंग

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आदित्‍य देव/Aditya Dev ध्‍यान यानी स्‍वयं को एक अदृश्‍य बिंदुु में स्‍थापित करना। वास्‍तव में यह सिर्फ चुनौती हो तो जीता जा सकता हैैै। किंन्‍तु यह स्‍वार्थ और स्‍वयं के बीच की वह जंग हैै जहां आप हर वक्‍त हारते हैं। आपकी चेतना बार-बार आपको भटकाकर गर्त की तरफ ले जाती हैैै। आपकी समझ आपके दिमाग के स्‍पंदन में भौतीकता का रस छोड़ती हैैै। आपकी कर्मेंद्रिया अपने अहसास करने की क्षमता से आपकी समझ और सोच को विकृत अवस्‍था में लेकर जाते हैं। आपकी ज्ञानेंद्रियां आपके भाव को इस भवसागर की लहरों में लपेटती रहती है। इस दौरान आप परम शून्‍यता को प्राप्‍त करने के लिए जितने लालायित होते हैैं, तामसी शक्तियां आपको उतना ही उलझाती हैं। इस दौरानसबसे अधिक समस्‍या आपको काम पर विजय पाने में आती है। यह वास्‍तम में एक असमर्थ प्रयास के समान शाबित होता है। आप चाह कर भी काम व वासना को अपनें सुखानुभूति भाव से दूर नहीं कर पाते। ऐसे मेें आपकी आत्‍मा एक समझौता करती हैैै। वह कुछ पल के लिए त्‍याग और दृढ़ता का वरण करती है। इसमें आप कितने सफल होते हैैं इसका मूल्‍यांकल कुछ वर्षों बाद ही कर पाएंगे। वर्तमान इसका हल नहीं दे प...

फिलीपींस स्वर्ग है, तो वहां के नागरिक पलायन क्‍यों कर रहे

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aditya dev फिलीपींस का पालावान द्वीप वास्‍तव में बहुत खूबसूरत है। पालावान द्वीप को पालावन नाम से भी लोग लानते हैैं। पूर्व में मिन्दोरो द्वीप से और बोर्नियो के द्वीप तक सुंदरता मानों प्रकृति का रूप ले जमीन पर उतर आई हो। शांत ऐसी की आपका मन वहीं रम जाए। पर्यटक यहां के पालावान द्वीप और अन्‍य पर्यटन स्‍थलों को देखकर यहां के जंगल, प्रकृति और रोमांटिक दृश्यों के पैमाने पर इसे स्‍वर्ग की उपमा देते हैैंं। किन्‍तुं चंद भौतीक, मानव नीर्मित व व्‍यवहारिक दृश्‍यों के आधार पर किसी जगह को स्‍वर्ग मान लेना उचित नहीं होगा। इसका अच्‍छा उदाहरण है फिलीपींस। सोने और चांदी का गढ़ होकर भी यह दिनों दिन गरीब होता जा रहा है। पर्यटन के तौर पर देखें तो इसके क्‍या कहने। फिर भी यहां से लोगों का पलायन चिंतनीय है। रोजगार के कम अवसर, खेती की पर्याप्‍त जगह का न होना भी इसका मुख्‍य कारण है। इसके बाद शिक्षा के क्षेत्र में सरकार द्वारा ध्‍यान न देना इस देश के लिए किसी अभिशाप से कम नहीं हैैै। यहां के युवाओं में देश प्रेम से ज्‍यादा लाइफ स्‍टाइल और इनकम प्रमुख होता जा रहा हैैै। ये शिक्षा या रोजगार के लिए पश्चिमी...

विनम्र व्यक्ति ऐसे आप पहचान सकते हैैं

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आदित्‍य देव/ Aditya Dev विनम्र व्‍यक्ति को पहचानना काफी सरल है। ये कभी भी अतिउत्‍साह में नजर नहीं आते। आपकी कोई भी बात वह सीधे नहीं काटते। ये आपकी पूरी बात बहुत गंभीरता से सूनते हैं। आपकी बातों के मुख्‍य मनोवैज्ञानिक पहलुओं को रेखांकित करते हैं। जब आप अपनी बात रखते हुए थक जाते हैं तब वह आपकी कमियों को तथ्‍य के साथ आपके समक्ष रखते हैं। इस दौरान बीच बीच में आपकी बातों में से बच्‍छे पहलू, तथ्‍य या व्‍यवहार को रखते जाते हैं ताकि आप होपलेस न हों। इसके साथ ही वह आपकी गलतियों को अप्रत्‍यक्ष तौर पर रख आपको सत्‍य से रूबरू कराते हुए आपमें आत्‍मसात करा देते हैं। उनकी आवाज एक सामान्‍य विस्‍तार के तहत गतिमान रहती है। क्रोध और दुव्‍यवहार उनसे काफी दूर होता है। लाख गलत विचार और व्‍यवहार उनको कभी विचलित नहीं करते। उन्‍हें जो कहना है उसके लिए सही वक्‍त का ये पहले चयन करते हैं फिर अपनी बात रखते हैं। इनकी बात सभी त्‍वरित परिणाम का हिस्‍सा नहीं होती। ये वही बात करते हैं जिसके बारे में पूरी तरह से अवगत होते हैं। जो इन्‍हें नहीं पता होता ये उससे कट जाते हैं या दूसरी बात उभारकर उसे पीछे कर देते हैं। लेक...

सरल दिमाग के व्‍यक्ति में होती है यह क्‍वालिटी

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सरल व्‍यक्ति वह है जो सहिष्‍णु हो। सबके विकास और खुशी को प्राथमिकता देने वाला हो। सरल व्‍यक्ति वह है जो रति या प्रेम को सर्वोपति मानता हो। अपराध का विरोध करता है और नियमों का कठोरता से पालन करता है। जो अपनों के साथ गांव और देश के लिए रास्‍ता बनाता हो ताकि संपूर्ण विश्‍व का विकास हो सके। सरल व्‍यक्ति वह है जो लाग लपेट में जीवन नहीं जीता हो। हर लालसा को सहजता से पूरा करता हो। मानवता ही जिसका लक्ष्‍य हो। सरल व्‍यक्ति वह है, जो विनम्र हो, प्रसंचित रहने वाला हो, बिना अभिमान के हो और बुद्धिमान हो। परोपकार जिसका आचरण हो। क्रोध पर जिसने विजय पा रखी हो। जो गलत व्‍यक्ति के साथ भी बैठकर उसके दूषित विचार को मार देने वाला हो। जो समाज में जाति, धर्म, ज्ञान-अज्ञान व रंग-रूप इत्‍यादि किसी भी अवस्‍था में किसी से नफरत न करता हो। वहीं व्‍यक्ति सरल है और समृद्ध है।

भगवद गीता पढ़ने से क्‍यों बदल जाती है जिंदगी

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Aditya Dev /आदित्‍य देव भगवत गीता यानी दुनिया के भ्रम की दवा। समाज में प्रेम और स्‍वयं से स्‍नेह की औषधि। हमारे जेहन में ईश्‍वर, मानव, प्रकृति, प्रेम, द्वेश, अपना-पराया, आत्‍मा-परमात्‍मा, धन, मन, कर्म, वचन इत्‍यादि से संबंधित प्रश्‍न जन्‍म लेते हैैं, सबका जवाय इसमें है। स्टिफेन होकिंस, जुकर बर्ग, बिल गेट्स, पंडित नेहरू, महात्‍मा गांधी, एपीजे अब्‍दूल कलाम इत्‍यादि जितने भी विचारक और वैज्ञानिक हैंं, वह गीता को एक बार नहीं कई बार पढ़े। इसे अपने साथियों को उपहार भी देते। इसे पढ़ने के बाद व्‍यक्ति की भाषा, बोली, व्‍यवहार, विचार, समझ सबकुछ वैज्ञानिक और प्रबुद्ध स्‍तर की हो जाती हैैै। इसमें दुनिया के सभी धर्मों और पंथों के भावार्थ का सत्‍य समाहित है। यह वास्‍तव में मानवता की आत्‍मा हैैै। यह जीवन का वास्‍तविक सार। इसे पढ़कर भी आपमें क्रोध और इर्ष्‍या है तो इसका अभिप्राय है‍ कि आपने इसके सिर्फ पन्‍ने गिने हैं। दुनिया में कोई भी वैज्ञानिक, विचारक व धर्मगुरु इसका कभी तिरस्‍कार नहीं कर सका। इसकी प्रेरक, गूढ़़ व रहस्‍यपूर्ण बातेंं इंसान को इश्‍वर के करीब कर देती हैैंं। इसके बाद वह जिहाद नहीं स...

नई दिल्ली में यहां नहीं गए तो क्‍या घूमे

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आदित्‍य देव/ Aditya Dev नई दिल्‍ली के बीचों बीच बसी पुरानी दिल्‍ली की जान चांदनी चौक हर किसी का दिल जीत लेती हैैै। इसके अलावा, आप कनॉट प्‍लेस जरूर देखें। इसके सेंट्रल पार्क में शाम जरूर बिताएं। लाल किला और पुराना किला इसकी शान है। इसे कभी नजरअंदाज न करें। साथ ही जामा मस्जिद को न देखे तो क्‍या घूमे। यह तो दिल्‍ली के तहजीब की पहचान हैैै। इसके बाद यहां के चिडियाघर में वक्‍त बिताएं। वहीं हुमायूं का मकबरा, हजरत निजामुद्दीन की दरगाह आपको जरूर आकर्षित करेगी। पास ही बने सेवन वंडर पार्क आप को न भाए ऐसा हो नहीं सकता। इसके बाद नेहरू प्‍लेस के आगे कालका जी मंदिर में मत्‍था टेेेेके बिना दिल्‍ली आपकी नहीं बनती। वहीं पास में लोटस टेंंपल में 10 मिनट की मौन साधना आपको परमेश्‍वर के करीब लेे जाती हैैै। इसकी स्‍थापत्‍य कला आपके स्‍मरणों में हमेंशा हमेंशा के लिए छप जाती हैैै। वहीं पास के इस्‍कॉन मंदिर में आप जाएंगे तो अपनी मर्जी के पर यहां की भक्ति और भाव आपको भगवान के शरण में हमेंशा हमेंशा के लिए स्‍थापित कर लेगा। वहीं अहिंसा पार्क, जैन मंदिर और कुुुुतुब मिनार आपके कैमरे को तस्‍वीर खींचने क...

देश के सम्‍मान के लिए आपमें यह गुण जरूर होना चाहिए

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Aditya Dev / आदित्‍य देव सबसे पहले तो शिक्षा को प्रमुखता दें। इसके बाद जल को कभी भी नष्‍ट न करें। क्‍योंकि धरा का रुधिर है। पेड़ पौधे अपनी छमता से आगे बढ़़चढकर लगाएं। आर्थिक स्थिति ठीक हो सोलर पॉवर के प्‍लेट घर, दुकान व फैक्‍टरी पर लगवाएं। रक्‍तदान हर तीन माह बाद जरूर से जरूर करें। आपको जैसे ही पता चले कि आपके आसपास या रिश्‍तेदारी किसी को आर्थिक सहायता की जरूरत है तो उसे जरूर सहयोग करें। मां, बेटी, बहन, बुआ, मामी, मौसी, मौसा, फूफा, भाई, बेटा, भ‍तीजा व भतीजी इत्‍यादि रिश्‍तोंं को कभी सहयोग में कर्ज न दें। उन्‍हें कर्ज देना किसी पाप से कम नहीं है। ये आप पर करोड़ों का प्‍यार न्‍यौछावर करने वालें रिश्‍ते हैैं। आपकी आवभगत में न्‍यौछावर होने वाले नाते हैं। इन्‍हीं की खुशी के लिए सब है। प्‍लीज इन्‍हें कभी कर्ज न देेना। बस जितना हो सके सहयोग में जुट जाना। कभी‍ किसी को गाली मत देना। हाथ तो बिल्‍कुल उठाना। नारी के विभिन्‍न रिश्‍तों को कलंकित करने वाली गाली कभी अपनी जीभ पर न आने देना। जब आए तो अपने घर पर मौजूद मां, बेटी व बहन को याद कर लेना। मां दुर्गा और अन्‍य देवियों का स्‍मरण कर लेना। जो ...

आखिर वैज्ञानिक भी भगवान को क्‍यों मानते हैं

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आदित्‍य देव/ Aditya Dev बिना भगवान के विज्ञान अंधूरा है। सबसे पहले तो यह जान लीतिए की विज्ञान सिर्फ तथ्‍यों की खोज है। यह कोई अविष्‍कार नहीं हैैै। क्‍योंकि अविष्‍कार नया होता है, जबकि विज्ञान के तहत सिर्फ वहीं चीजें प्रत्‍यक्ष आती हैैं जो इस सृष्टि में हैं। वैज्ञानिक इन्‍हीं मौजूद ऊर्जाओं में से चंद ऊर्जा को खोज पाए हैं। यह कोई बाहरी या किसी मानव द्वारा उद्विपित कर्म नहीं हैैै। मानव पकृति मेें मौजूद ऊर्जा को खोजता हैै और उसके उपयोग के संसाधनों का‍ निर्माण करता हैैै। ऊर्जा वास्‍तव में एक अप्रत्‍यक्ष बिंदु है। यह ऐसा बिन्‍दु जिसे मानव अपने मशीनों व यंत्रों से देखने की कोशिश करता हैै। वह जितने छोटे कण तक अपने ज्ञाप को पहुंचाता है, उससे और छोटे कण का भान हो जाता है। भगवान यानी एक अप्रत्‍यक्ष व अदृश्‍य शक्ति। ऊर्जा। जो हमारे आसपास है। हममें मौजूद है। यह शरीर भी देखेंगे तो पाएंगे की 75 प्रतिशत से अधिक भाग इसका प्रत्‍यक्ष रूप से पानी है। जबकि अन्‍य 25 प्रतिशत भाग ऐसे तत्‍व हैं जो जल के स्‍वरूप में परिणित होते हैैं। अर्थात आपका संपूर्ण अस्तित्‍व वाष्‍प है। और वाष्‍प फैल जाए तो इन आंखों...

क्या आपका चढ़ाया भोग भगवान खाते हैैं, जरूर जानें कैसे खाते हैं वो

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आदित्‍य देव/ Aditya Dev हां। जरूर करते हैैं। कई बार आप घर से भोजन करके किसी रिश्‍तेदार व दोस्‍तों के यहां जाते हैं। वहां आपको भोजन के लिए कोई न पूछे, जबकि उस वक्‍त खाने का समय हो। फिर आपको बहुत बुरा लगेगा, जबकि आपको उस वक्‍त उस भोजन की जरूरत नहीं हैैै। फिर क्‍यों आपमें यह नाराजगी। हमें विश्‍वास है कि हमारे भगवान हमारे साथ हैं। वह हमेंशा हमारे आसपास ही रहते हैैं। हर वक्‍त। जब हमें काम करते हैैं। दौड़ते हैं। घूमते हैैं। आराम या नौकरी कर रहे होते हैैं। फिर वो भी थकते होंगे न। ऐसे में वह भोग लेते हैैं। यदि आप उन्‍हें भोग नहीं कराएंगे तो उन्‍हें भी तो नाराजगी हो सकती हैैै। पर हमारे भगवान भोले, प्‍यारे व खुशमिजाज हैैं। वो अपनी संतानों से कभी नाराज नहीं होते। वह आपकी हर गलती क्षमा करते हैं। जैसे बच्‍चे गलती करते हैैं तो पिता जी व माता जी उन्‍हें मारते या दंड नहीं देते, बल्कि उन्‍हें संभालते हैैं। अच्‍छी चीज बताते हैैं। वैसे ही भगवान भी आपकी किसी गलती पर आपको दंड नहीं देते। वह आपके सबसे अच्‍छे और करीबी पालनकर्ता हैं। न मंत्र गलत होने पर न पूजा विधि पर। यह भ्रम निकाल दें। कौन पिता व माता ग...

जीवन को आसान बनाने के लिए ये चीजें हैं बहुत जरूरी

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Aditya Dev/ आदित्‍य देव मानव ऊर्जा का एक पुंज हैैै। ऐसे में यदि ऊर्जा साकारात्‍मक हो तो जीवन सरल हैैै। जब आप कोई काम करते हैैं और आपको यह पता हो‍ कि आप अच्‍छा कर रहें  तो इसका परिणाम भी बेहतर होता और आपको उस काम में निश्चित सफलता मिलती हैैै । सामने वाला काफी नाराज हो और आप साकारात्‍मक ऊर्जा से भरें हों व मुस्‍कान के साथ बस सब ठीक हैै। यह गलती भी सुधार लेंगे कहते हैं वहां का माहौल खुशनुमा हो जाता है। आपकी आस्‍था वही साकारात्‍मक ऊर्जा हैैै। वह जीवन का वह सर्वोत्‍तम मार्ग है, जो आपकी हर कठिनाई में आलंबन बनकर नैया पार करा देता है। आस्‍था आपकी हर चुनौती को सरल बनाता है, जैसे आप बचपन में पहली बार साइकिल पर बैैैैैठें और पास खड़े पिता जी या भाई-बहन आपको मुस्‍कान दे यह भरोसा जताते हैं कि तुम कर लोगे। आस्‍था वही विश्‍वास है। हमारी हर हार में वह मौजूद है। हमारी हर जीत का वह हिस्‍सा हैैै। एक नमन और अनेको साकारात्‍मक ऊर्जाओं का हमारे पास आना, किसी विजय का आगाज ही हैैै। आपके साथ बहुत गलत होने वाला हो तो वह बहुत को खत्‍म कर देता है। गलत जहां होने वाला होता हैै वहां सिर्फ कठिनाई को छोड़़ता...