ध्यान लगाते वक्त ये चीजें कर देती हैैं तंग
आदित्य देव/Aditya Dev ध्यान यानी स्वयं को एक अदृश्य बिंदुु में स्थापित करना। वास्तव में यह सिर्फ चुनौती हो तो जीता जा सकता हैैै। किंन्तु यह स्वार्थ और स्वयं के बीच की वह जंग हैै जहां आप हर वक्त हारते हैं। आपकी चेतना बार-बार आपको भटकाकर गर्त की तरफ ले जाती हैैै। आपकी समझ आपके दिमाग के स्पंदन में भौतीकता का रस छोड़ती हैैै। आपकी कर्मेंद्रिया अपने अहसास करने की क्षमता से आपकी समझ और सोच को विकृत अवस्था में लेकर जाते हैं। आपकी ज्ञानेंद्रियां आपके भाव को इस भवसागर की लहरों में लपेटती रहती है। इस दौरान आप परम शून्यता को प्राप्त करने के लिए जितने लालायित होते हैैं, तामसी शक्तियां आपको उतना ही उलझाती हैं। इस दौरानसबसे अधिक समस्या आपको काम पर विजय पाने में आती है। यह वास्तम में एक असमर्थ प्रयास के समान शाबित होता है। आप चाह कर भी काम व वासना को अपनें सुखानुभूति भाव से दूर नहीं कर पाते। ऐसे मेें आपकी आत्मा एक समझौता करती हैैै। वह कुछ पल के लिए त्याग और दृढ़ता का वरण करती है। इसमें आप कितने सफल होते हैैं इसका मूल्यांकल कुछ वर्षों बाद ही कर पाएंगे। वर्तमान इसका हल नहीं दे प...