फिलीपींस स्वर्ग है, तो वहां के नागरिक पलायन क्‍यों कर रहे


aditya dev
फिलीपींस का पालावान द्वीप वास्‍तव में बहुत खूबसूरत है। पालावान द्वीप को पालावन नाम से भी लोग लानते हैैं। पूर्व में मिन्दोरो द्वीप से और बोर्नियो के द्वीप तक सुंदरता मानों प्रकृति का रूप ले जमीन पर उतर आई हो। शांत ऐसी की आपका मन वहीं रम जाए। पर्यटक यहां के पालावान द्वीप और अन्‍य पर्यटन स्‍थलों को देखकर यहां के जंगल, प्रकृति और रोमांटिक दृश्यों के पैमाने पर इसे स्‍वर्ग की उपमा देते हैैंं। किन्‍तुं चंद भौतीक, मानव नीर्मित व व्‍यवहारिक दृश्‍यों के आधार पर किसी जगह को स्‍वर्ग मान लेना उचित नहीं होगा। इसका अच्‍छा उदाहरण है फिलीपींस।
सोने और चांदी का गढ़ होकर भी यह दिनों दिन गरीब होता जा रहा है। पर्यटन के तौर पर देखें तो इसके क्‍या कहने। फिर भी यहां से लोगों का पलायन चिंतनीय है। रोजगार के कम अवसर, खेती की पर्याप्‍त जगह का न होना भी इसका मुख्‍य कारण है। इसके बाद शिक्षा के क्षेत्र में सरकार द्वारा ध्‍यान न देना इस देश के लिए किसी अभिशाप से कम नहीं हैैै। यहां के युवाओं में देश प्रेम से ज्‍यादा लाइफ स्‍टाइल और इनकम प्रमुख होता जा रहा हैैै। ये शिक्षा या रोजगार के लिए पश्चिमी देशों की तरफ तेजी से आकर्षित हुए हैं। यह बात भी चिंतनीय हैै कि विगत कुछ दशकों में यहां देह व्‍यापार काफी तेजी से बढ़ा है। ऐसे में पैसे के आगमन का अकर्मन्‍य साधन पाकर यहां के लोग निकृष्‍ट हो गए हैं। हालांकि कुछ शोध में यह बात सामने आई है कि फिलीपींस, इंडोनेशिया और मलेशिया की अर्थव्यवस्था काफी तेजी से बढ़ रही है। यहां केे लोगों का जीवनस्तर ऊपर उठ रहा हैं। ऐसे में यदि इस देश की स्थिति को देखेंगे तो पर्यटन के हिसाब से यह वास्‍तव में स्‍वर्ग (उपमा के तौर पर) ही है। किंन्‍तुु शिक्षा, रोजगार और धनार्जन का जरिया इस देश की छवि खराब कर रही है। इसके अलावा यह भूकंप जोन में आने वाला देश भी हैैै। लाइन ऑफ फायर पर बसे इस देश में हमेंशा डर बना रहता है। इसके अलावा ग्‍लोबल वार्मिंग भी इस देश के लिए घातक है।

राम प्रकाश बैरड़ (Ram Prakash Bairad), राजस्थान का निवासी अर्थ शास्त्र, कृषि, राजनीति का अल्पज्ञानी जी के अनुसार.................... 
जी, फिलीपींस स्वर्ग ही हैं, शांति हमेशा से ही कायम रही, प्राकृतिक सौंदर्य देखते ही बनता है, सोने के भंडार में दक्षिण अफ्रीका के बाद विश्व में दूसरे स्थान पर है तो तांबे मे प्रथम। नारियल पानी और पपीते के निर्यात में विश्व में प्रथम, कुल मिलाकर प्राकृतिक रूप से धनी देश। इन सबसे भी विशेष यह है कि पूरा देश टापूओं का देश होने के कारण किसी भी देश के साथ ना धरातलीय सीमा, ना सीमा विवाद।
आपने प्रश्न मे मुख्य बिन्दु रखा स्वर्ग जैसा होने पर भी 6000 लोग देश क्यों छोड़ रहे हैं। इस देश की जनसंख्या महज 10 करोड़ हैं, जो भारत की कुल जनसंख्या का 13 वाँ हिस्सा (13 गुना कम) हैं, लेकिन विस्थापित होने वालों की संख्या भारत की अपेक्षा अधिक है।
वर्ष 2018 में कनाडा की नागरिकता प्राप्त करने वाले विदेशी नागरिकों में फिलीपींस के नागरिकों की संख्या भारतीय नागरिकों की अपेक्षा अधिक थी, वहीं फिलीपींस प्रथम और भारत द्वितीय था।[1]
क्यों छोड़ रहे हैं देश?
  1. कार्य - दूसरे देशों में काम करने के लिए जाने वालों की संख्या के आधार पर फिलीपींस के नागरिक चीन और भारत के बाद तीसरे स्थान पर है, जो देश में रोजगार की कमी और अमेरिका का उपनिवेश रहने के कारण अमेरिकी उच्चारण की अंग्रेज़ी बोलनें के कारण हैं।[2] जब काम करने दूसरे देश में जाते हैं तो कई लोग वहीं बस जाते हैं, जबकि अधिकांश वापस देश लौट आते हैं।
  2. शिक्षा - हालाँकि यह सही है, फिलीपींस के नागरिकों की अंग्रेजी अच्छी है, पर शिक्षा प्राप्ति के लिए विश्वविद्यालय दूसरे देशों के स्तर के नहीं हैं, जिसके कारण कई विद्यार्थी, विद्या अर्जन करने दूसरे देश जाते हैं।[3] कमजोर अर्थव्यवस्था के कारण विदेश में शिक्षा अर्जित करने वाले वहीं रह जाते हैं। वहाँ की शिक्षा व्यवस्था आप ऐसे समझ सकते हैं कि भारत में जिन विद्यार्थियों को मेडिकल शिक्षा में प्रवेश नहीं मिलता वो फिलीपींस चले जाते हैं।
  3. गरीबी - सेक्स पर्यटन में थाइलैंड के बाद इस देश का स्थान है, जिससे आप गरीबी का अंदाज लगा सकते हैं, इस देश की कई महिलाएं दूसरे देशों में रसोइया के रूप में कार्य करने विदेश (खास तौर से खाड़ी देशों) में चली जाती हैं। फिर सेक्स पर्यटन से आलस तो देश के नागरिकों की नस-नस में बस गया हैं, वहीं गरीबी की तरफ धकेल रहा हैं और गरीबी विस्थापन की तरफ।
हिन्दी में एक कहावत है "भूखे पेट भजन ना होई नंदलाला" वही कहावत इस देश पर सार्थक हो रही है, इस देश के नागरिक कार्य करने के लिए दूसरे देशों का रुख करते हैं क्योंकि देश संसाधन संपन्न होते हुए भी रोजगार उत्पन्न करने में सक्षम नहीं है। जिसके कारण बेरोजगारी और गरीबी अत्यधिक है। इस बेरोजगारी और गरीबी से निपटने के लिए वह लोग दूसरे देशों का रुख कर रहे हैं। सार रुप में कहें तो सुंदरता तभी नजर आती है जब इंसान का पेट भरा होता है, खाली पेट तो सुंदरता में भी कुरूपता ही नजर आती हैं, इसलिए यह लोग अपना पेट निकालने के लिए दूसरे देशों का रुख कर रहे हैं।

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