आदित्य देव पाण्डेय with arun sharma and kamlesh pandey raju mishra, TRAYAMBAK MISHRA, ramesh dev, and vijya pandey traymbak mishra. vijya pandey and आदित्य देव पाण्डेय raju mishra, trayambak mishra, ramesh dev, and vijya pandey TRAYAMBAK MISHRA आदित्य देव पाण्डेय इन सांसों को ये पता नहीं है कि वो जिसकी जिंदगी हंै वह अच्छा है या बुरा। लेकिन वह अपने कार्य को बहुत ही सहजता से करती जाती हैं। वह •ाी नि:स्वार्थ। पर हम इसके उलट कार्य करते हैं। जब तक हमें किसी से खुशी या सकारात्मक सोच या व्यवहार मिलता है तब तक वह हमें अच्छा लगता है, लेकिन जैसे ही हमें उससे नाकारात्मक ऊर्जा का अहसास मात्र होता है हम उसे छोड़ उससे बेहतर साथी की तलाश में जुट जाते हैं। या फिर, इंसान और इंसानियत को कोसते हुए कुंठा के महासागर में गोते लगाने लगते हैं। आज की कहानी •ाी कुछ ऐसी ही है। कहानी शुरू होती है एक इलेक्ट्रॉनिक खिलौने बनाने वाली कंपनी के मीटिंग हॉल से। जहां राजन को उसके बॉस एक ऐसा ब्रेसलेट बनाने पर चर्चा कर रहे हैं, जिसे पहनते ही उसमें लगी लाल और हरे रंग की बत्ती सच और झूठ का फैसल...