इश्क तो बहुत था














इश्क तो बहुत था

पर रास्ते का पता नहीं।
कहना तो बहुत था
पर शब्द मिले नहीं।।

ख्याल में बहुत था
पर सोचा तो कुछ नहीं।
ख्वाबों में दिखा
पर पूरा कहीं नहीं।।

राह पर दिखा
पर नजर में नहीं।
दिल में वो धड़का
पर मिला कभी नहीं।।

दुआ में वो रहा
पर मिन्नतों में नहीं।  
सांस में घुला रहा
पर रूह बना नहीं।।

प्यार से इबादत बना
पर मीत बना नहीं।
अपना बनकर ही चला
पर साथ रहा नहीं।

प्यार का अंजाम था ये
पर पूरी दास्‍तां नहीं।  


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