एयर प्यूरीफायर से लाएं सेहत में सुधार


दुनिया के कई देश आज प्रदूषण के प्रकोप से प्रभावित हैं। ऐसे में हमारे देश के 14 महानगरों की हवा भी प्रदूषण से जहरीली हो चुकी है। हालात इस तरह के हो गए हैं कि बिना मास्‍क के रास्‍ते व गलियों में निकलना यानी सेहत को खतरे में डालना है। वहीं अपने ही घर और कमरे में शुद्ध हवा पाना एक चुनौती बन चुकी है। इस स्थिति में आज एयर प्‍यूरीफायर हमारे घर की एक विशेष जरूरत बन चुका है। ऐसे में आइये जानते हैं कि एयर प्‍यूरीफायर कैसा लेना उचित रहेगा। इसे खरीदते समय किन बातों का ख्‍याल रखना जरूरी है।
    एयर प्‍यूरीफायर हवा में घुले दुषित तत्‍वों का शोधन कर हमें शुद्ध हवा प्रदान करता है। इसे एक महीने के अंदर साफ करना पड़ता है। क्‍योंकि इस दौरान इसमें ढेरों गंदगी और धूल फंस जाते हैं। यह गंदगी और धूल वही हैं जो आपके फेफड़े में पहुंचकर आपको बीमार कर देते हैं। ऐसे में यहां यह बात भी ध्‍यान देने योग्‍य है कि आपका कमरा कितना बड़ा है। यदि उसका आकार बड़ा है तो छोटे प्‍यूरीफायर से काम नहीं बनेगा। एक रूम की हवा को साफ करने में एयर प्‍यूरीफायर को 15 से 30 मिनट लग जाते हैं। इतने देर में प्‍यूरीफायर हवा में उपस्थित पर्टिकुलेट मैटर और पोलन को साफ कर देता है। वहीं एक्टिवेटिड कार्बनफिल्‍टर और हेपा फिल्‍टर गंदगी और धूल कणों (PM 2.5 और PM10) के साथ ही हवा में मौजूद गंध को भी खत्‍म कर देता है।     

फिल्‍टर का है सब कमाल  

·         हेपा : यह मैकेनिकल एयर फिल्‍टर हवा में मौजूद 99.97 प्रतिशत दूषित तत्‍वों को साफ करने की क्षमता रखता है। धूल के एक कण को 0.3 माइक्रोन में मापते हैं। हेपा खतरनाक बैक्‍टीरिया और वायरस को भी खत्‍म कर देता है।
·         आईओएनआईसी : यह फिल्‍टर इलेक्ट्रिक सरफेस से दूषित तत्‍वों का खात्‍मा करता है। यह 0.01 माइक्रॉन के बराबर के कणों को भी साफ कर देता है।
·         एक्टिवेटेड कार्बन : इस चारकोल एयर फिल्‍टर में एक्टिवेटेड कार्बन का प्रयोग होता है। यह बारीक से बारीक दूषित तत्‍वों को खोजकर साफ कर देता है। हवा में मौजूद हानिकारक रसायन और जहरीले गैस इत्‍यादि को यह सहजता से साफ कर देता है। ऐसे में इसे बार-बार बदलने की नौबत भी आती रहती है।
·         यूपी लाइट : यह फिल्‍टर लाइट टेक्‍नोलॉजी के आधार पर काम करती है। यह लाइट कमरे में मौजूद रोगाणुओं और अन्‍य वायरस को खत्‍म करती है।     

घर को बनाता है स्‍वस्‍थ 


आप स्‍कूल, कॉलेज जाते हों या बाहर नौकरी करते हों, लेकिन कम से कम आप 12 घंटे तो जरूर घर में रहते ही हैं। ऐसे में आपका प्‍यूरीफायर आपके घर की दूषित हवा को शुद्ध कर आपके स्‍वास्‍थ्‍य का ख्‍याल रखता है। इसके मूल्‍य की बात करें तो यह आपके शहर में मौजूद प्रदूषण की स्थिति पर निर्भर करता है। यदि आपके शहर में प्रदूषण अधिक है तो लाजमी है कि आपको प्‍यूरीफायर का फिल्‍टर बार-बार बदलना पड़ेगा और आपका खर्च बढ़ जाएगा। हालांकि आपके स्‍वास्‍थ्‍य के लिए यह काफी उपयो‍गी है, लेकिन इससे निकलने वाला ओजोन गैस इंसान के फेफड़े के लिए हानिकारक भी है। केमफिल प्‍यूरिफायर बेहतर होने के कारण महंगा आता है। यह मॉलिक्‍यूलर फिल्‍ट्रेशन में सक्षम है। यदि आपके घर में पालतू जानवर है तो यह उसका और उससे पैदा होने वाले वायरस व उसके बाल के कणों से भी आपकी रक्षा करता है। यदि आपके घर में कोई अस्‍थमा, ब्रोन्‍काइटिस, वातस्‍फीति, सांस की समस्‍या इत्‍यादि से पीडि़त है तो एयर प्‍यूरीफायर रहना जरूरी हो जाता है। डॉक्‍टर मानते हैं कि एयर प्‍यूरीफायर लोगों को अस्‍थमा के अटैक से बचा सकते हैं।         



·         हमारे देश में एयर प्‍यूरीफायर का बाजार 100 करोड़ रुपये से भी अधिक का है।
·         2022 तक यह कारोबार 2000 करोड़ रुपये तक का होने की उम्‍मीद है।
·         45 प्रतिशत संयुक्‍त वार्षिक वृद्धि की दर से यह उद्योग आगे बढ़ रहा है।
·         अगले 4 वर्षों में यह 55-60 संयुक्‍त वार्षिक वृद्धि की दर पर पहुंच जाएगा।
·         बाजार में अच्‍छे स्‍तर के प्‍यूरीफायर 10 हजार से 95 हजार तक में उपलब्‍ध हैं।
·         दुनिया के 20 प्रदूषित शहरों में से 13 भारत में हैं।


इन बातों का भी ख्‍याल रखें

·         प्रदूषण यदि आपके शहर में अधिक हो तो सूर्योदय के बाद ही घर से निकलें।
·         नारियल पानी प्रदूषण के हमले से आपकी रक्षा करने में सक्षम है।
·         शरीर को स्‍वस्‍थ रखने के लिए संतुलित भोजन के साथ मौसमी फल व सब्जियां खूब खाएं।
·         सुबह-शाम के साथ दिनभर में चार से पांच बार तो जरूर अपने आंखों को धाएं।
·         प्रदूषण से लड़ने वाले पौधों जैसे तुलसी, एनेक, बैंबू पाम, स्‍पाइडर प्‍लांट, ऐलोवेरा, रबर प्लांट व एरेका पाम आदि को अपने घर में जरूर लगाएं।
·         प्रदूषण के ज्‍यादा बढ़ने पर घर में चार-पांच बार गीला पोंछा जरूर लगाएं।
·         घर के दरवाजे व खिड़कियों को बंद रखें व खेलने और टहलने बिल्‍कुल न निकलें।

  

12 मिनट में हवा शुद्ध

एयर प्यूरीफायर की शुरुआत हमारे पड़ोसी देश चीन में सर्व प्रथम हुई। चीन के बाद भारत भी प्रदूषण से जूझने वाला सबसे बड़ी जनसंख्‍या वाला देश है। ऐसे में आज हमारे देश में भी एयर प्‍यूरीफायर की मांग बढ़ रही है। इसमें लगने वाला फिल्‍टर का मुख्‍य रोल रहता है। क्‍योंकि यह हानिकारक पॉल्यूटेंट्स जैसे पोलन, डस्ट और स्मोक को साफ करने की क्षमता रखता है। माना जाता है कि प्‍यूरीफायर 12 मिनट में हवा को साफ कर देता है। यहां एक बात ध्‍यान रखें कि जब भी आप एयर प्‍यूरीफायद खरीदने जाएं तो हैवी वाला ही लें। इसके अलावा इसके वजन, पोर्टेबिलिटी व पंखों के शोर का पूरा ख्‍याल रखें। 


इन रोगों का रहता है खतरा
प्रदूषित हवा में मौजूद हानिकारक तत्‍व हमें बीमार और कमजोर कर देते हैं। प्रदूषण हमारे जन जीवन को सीधा प्रभावित करता है। ऐसे में यह हमारे परिस्थितिकी तंत्र के साथ हमें और हमारे पालतू जानवरों पर भी घातक परिणाम छोड़ता है। हम जब सांस लेते हैं तो जहरीले सूक्ष्‍म कण हमारे शरीर में प्रवेश कर हमें कैंसर, पार्किंसंस रोग, हार्ट अटैक, सांस की तकलीफ, खासी, आंखों में जलन और एलर्जी जैसी बीमारियों की चपेट में ला देते हैं।
·         फेफड़े का संक्रमण : प्रदूषण से अस्‍थमा और क्रोनिक ऑब्‍सट्रक्टिव पल्‍मोनरी डिजीज बढ़ जाता है। ऐसे में क्रोनिक ब्रॉन्‍काइटिस और एम्‍फ्यसेमा जैसे रोग होते हैं। दूषित हवा में मौजूद एलर्जी और रासायनिक तत्‍व हमें कमजोर करते हैं। ऐसे में हम अस्‍थमा, सांस की बीमारी, ब्रोंकाइटिस, त्वचा रोग, सीओपीडी, आंखों में जलन से प्रभावित होने लगते हैं। आपको बता दें कि रेस्पिरेबल सस्पेंडेड पार्टिकुलेट मैटर की अधिक मात्रा हमारे स्‍वास्‍थ्‍य के लिए घातक है। ऐसे हालात में सबसे अधिक बच्‍चों का ख्‍याल रखना जरूरी हो जाता है।
·         कैंसर : हवा के प्रदूषण से सबसे अधिक फेफड़े के कैंसर का खतरा रहता है। आपको बता दें कि वायु प्रदूषण का सीधा संबंध फेफड़ों के कैंसर और दिल की बीमारियों से काफी गहरा होता है। ऐसे में यदि आप धूम्रपान कर रहें हों तो बिल्‍कुल बंद कर दें।  
·         तपेदिक : आप यह जानकर चौक जाएंगे कि भारत में कैंसर, ट्यूमर और तपेदिक के प्रकोप का सबसे बड़ा कारण धूम्रपान और वायु प्रदूषण ही है। जिन जगहों पर रोशनी व शुद्ध हवा नहीं पहुंचती वहां इसके प्रसार के चांस ज्‍यादा हैं। इसके अलावा धुआं, धूल, कपास, कचरा, धातु आदि के पेशे से जुड़े लोगों के लिए यह घातक है। 
·         दिल की बीमारी :  यदि आप लगातार कार्बन मोनोऑक्‍साइड, नाइट्रोजन और सल्‍फर डाइऑक्‍साइड की पहुंच में हैं तो हार्ट अटैक की स्थिति पैदा हो सकती है। इससे 0.6 से 4.5 फीसदी लोगों के प्रभावित होने की संभावना है। वायु प्रदूषण से कोरोनरी स्‍ट्रोक में भी वृद्धि होती है।
·         मस्तिष्‍क रोग : हवा में अशुद्धता बढ़ने से लोगों के मस्तिष्‍क की क्षमता भी प्रभावित होने लगती है। इसका सीधा असर आपके कामकाज पर पड़ने लगता है। आपको मालूम हो कि इंसानों के दिमाग में पाए जाने वाले अधिकांश मैगनेटाइट, चुंबकीय लोहे के आक्‍साइड के यौगिक का स्‍वरूप प्रदूषित वायु की वजह से बनते हैं।   
·         गुर्दे का कमजोर होना : वायु प्रदूषण के चलते अस्‍थमा और सांस लेने में दिक्‍कत होने लगती है। यदि यह यह समस्‍या लगातार बनी रहती है तो इससे गुर्दे की बीमारी भी हो सकती है। वायु प्रदूषण से झिल्‍लीदार नेफ्रोपैथी का खतरा रहता है। 
·         गर्भ के दौरान : गर्भावस्‍था से प्रसव के वक्‍त तक वायु प्रदूषण किसी जानलेवा प्रकोप से कम नहीं है। विशेषज्ञ मानते हैं कि गर्भवती द्वारा प्रदूषित हवा में सांस लेने से अजन्‍में बच्‍चे को अस्‍थमा या मस्तिष्‍क से संबंधित बीमारियां व विकृति हो सकती है। अजन्‍मा बच्‍चे की जान भी जा सकती है। वहीं बच्‍चों में निमोनिया और अन्‍य रोगों से लड़ने की क्षमता भी प्रभावित होती है।   

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