जल संरक्षण से भविष्य की रक्षा करें



जल एक ऐसी चीज है जिसके बिना जीवन की कल्पना करना सिर्फ छलावा है। हमारे शरीर का एक तिहायी हिस्सा जल है। ऐसे में यह बात तो तय है कि हमारे जीवन के लिए यानी हमें जीवित रहने के लिए जल सबसे महत्वपूर्ण तत्व है। ऐसे में बढ़ती मानव जनसंख्या और पानी की बर्बादी आज पूरी दुनिया के लिए एक चिंता का विषय है। ऐसे में जल संरक्षण को लेकर हम सब की भा‍गीदारी महत्वपूर्ण है। यह तो तय है कि आने वाली पीढि़यों के जीवन के लिए हमें अब गंभीरता के साथ सजग हो जाने की जरूरत है। वहीं प्रकृति के अन्य जीवों, पक्षियों और वनस्‍पतियों के जीवन के बारे में भी सोचने की जरूरत है। उनका भी पेयजल पर उतना ही अधिकार है जितना हम इंसानों का है।
  
   अभी के हालात पर नजर डालें तो मानव सभ्यता कई प्राकृतिक आपदाओं से घिरती जा रही है। यह बढ़ती आबादी, प्राकृतिक संसाधनों के साथ खिलवाड़ और जल की बर्बादी का ही परिणाम है कि आज पूरा जीवमंडल परेशानियों से घिर गया है। विश्व का तीन चौथाई हिस्सा जल से घिरा है फिर भी पीने योग्य पानी की बात करें तो वह बहुत कम है। ऐसे में पानी की बर्बादी आने वाली पीढि़यों के लिए किसी घातक परिणाम को न्यौता देने जैसा ही है। ऐसे में आप और हमसब को जल संरक्षण और जल प्रदूषण के प्रति तुरंत सजग होने की जरूरत है। वहीं नदी, तालाब और नलकूपों के संरक्षण पर ध्यान देने की भी जरूरत है।

पानी बिन सब सून

आपको यह जानकर हैरत होगी कि आज हमारे देश में हर साल 1400-1500 करोड़ रुपये का पानी लोग खरीदकर प्रयोग कर रहे हैं। जहां पहले गावों
, कस्बों व शहरों में अनगिनत कुआं, तालाब व तलैया हुआ करते थे, वहीं आज इनका नामों निशान मिट चुका है। आज पूरी जमीन पर करीब एक फीसदी ही पीने योग्य पानी है। ऐसे में हम आज नहीं जगे तो कल को रेगिस्तान में बदल देंगे। 

इसे आदत बना लें
        छोटे ग्लास में ही हमेंशा पानी लेकर पिएं।
        बचे हुए पानी को नाली में नहीं पौधों में डालें।
        नहाते वक्त बाल्टी और मग का प्रयोग करें।
        शावर से नहाने की आदत पर विराम लगाएं।
        नल और पाइपलाइन के रिसाव को तुरंत रोकें।
        पाइप व नल के जोड़ों को ठीक से सेट करें।
        नल को कम से कम खोलकर प्रयोग करना चाहिए।
        वाहन धोने में मग और बाल्टी का इस्तेमाल करें।
        बगीचे व गमलों में पानी वाटर कैनन से ही दें।
        सूखा अवरोधी पौधा लगाकर भी पानी बचा सकते हैं।
        नल से सीधे कभी भी फल व सब्जी न धोएं।
        कूलर में जरूरत से ज्यादा पानी नहीं भरना चाहिए।
        घर, स्कूल और ऑफिस में पानी के उपकरणों के रिसाव को समय-समय पर जरूर चेक करते रहना चाहिए।

   

पानी की बर्बादी है नैतिक अपराध

पृथ्वी पर सभी छोटे-बड़े जीव-जंतुओं व पेड़-पौधों के लिए पानी जरूरी है। ऐसे में यह दुखद है कि मानव आज इस जीवनदायी अमृत को दूषित और बर्बाद कर रहा है। आज हमारी नदियां हमारी अनदेखी से प्रदूषित हो चुकी हैं। ऐसे में हमें खुद पेयजल के लिए परेशान होना पड़ रहा है। ऐसे में हमारी आगामी पीढ़ियों के लिए हमें अभी से सचेत हो जाने की जरूरत है। मानसूनी वर्षा से प्राप्त पानी को अब सहेजने की जरूरत है। हर किसी को पेड़-पौधे जरूर लगाने चाहिए। घरों और खेतों में पानी की बर्बादी को तुरंत रोकने पर विचार करना चाहिए। जमीन से जल दोहन पर्याप्त से अधिक करने पर हमारी पृथ्वी नष्ट हो जाएगी। आपको मालूम हो कि संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के अनुसार सन 2025 से पहले ही भारत में पानी की कमी से लोग परेशान हो जाएंगे। केन्द्रीय भू-जल बोर्ड का मानना है कि भूमिगत जल भंडार खत्म होने की कगार पर है। ऐसे में पानी की बर्बादी को रोकें। जल को स्वच्छ रखने में अपना पूरा योगदान दें। नदियों में कूड़ा व पूजा सामग्री इत्यादि न फेंकें। घर पर पानी बर्बाद होने से रोकें। नल व ट्यूबवेल में अच्छे और मजबूत पाइप का ही प्रयोग करें। लिकेज को नजरअंदाज बिल्कुल न करें।

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