तकनीक के साथ चलें, बेहतर को चुनें


·       बीएस 4 और 6 से बनाएं राहों को आसान·       पॉल्‍यूशन और महंगाई पर लगाएं विराम    

जीवन की बदलती जरूरतों के साथ ही तकनीकी बदलाव भी जारी रहता है। इसी क्रम में आज हमारे जीवन को रफ्तार देने वाले वाहन भी तकनीकी तौर पर बदल रहे हैं। ये जहां इकोफ्रेंडरी हो रहे हैं वहीं हमारी जेब का भी ख्‍याल रख रहे हैं। कम तेल में ज्‍यादा माइलेज और बेहतर ताकत के साथ प्रदूषण रहित आज की गाडि़यां हमें एक बेहतर विकल्‍प के तौर पर नजर आती हैं। ऐसे में आपका चुनाव मजबूत और अच्‍छे इंजन का रहता है, जिसे बीएस-4 और बीएस-6 पूरा करते हैं।
    
अगले साल के अप्रैल माह से हमारे देश में बीएस-6 मानक वाली गाडि़यां बिकने शुरू हो जाएंगी। हालांकि पहले से खरीदी गईं बीएस-4 गाडि़यां चलती रहेंगी। ऐसे में यह जानना जरूरी हो जाता है कि आखिर बीएस है क्‍या। सबसे पहले तो यह जान लें कि बीएस का अर्थ भारत स्‍टेज है। इससे आप यह तो जान गए होंगे कि यह नाम उत्‍सर्जन के मानकों की तरफ इशारा कर रहा है। यानी अगला जनरेशन बीएस-6 में विशेष प्रकार का फिल्‍टर होगा, जो प्रदूषण के 2.5 जैसे कण को 90 प्रतिशत तक रोकने में सक्षम होगा। इससे नाइट्रोजन ऑक्‍साइड के उत्‍सर्जन में भी कमी आएगी। ऑटो एस्‍पर्ट मानते हैं कि बीएस-6 के चलते प्रदूषण के कण 0.05 से कम हो 0.01 रह जाएंगे। बीएस-6 इंजन दोनों वेरिएंट में यानी पेट्रोल और डीजल इंजन के साथ प्रदूषण कम करेगी। इसके अलावा ग्राहकों की एक और चिंता होती है वह है माइलेज। तो आपको बता दें कि बीएस-6 की नई गाडि़यां शानदार माइलेज भी देंगी।

बीएस-3 से बीएस-4 वाहन क्‍यों हैं बेहतर
यह तो आप सभी को पता ही है कि माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बीएस-3 मानक वाली गाडि़यों की बिक्री और पंजीयन पर रोक लग गई है। ऐसे में आज सिर्फ बीएस-4 वाहन ही उपलब्‍ध हैं। आप को मालूम है कि बीएस-3 वाहन हमारे पर्यावरण के लिए घातक थे। इसकी तूलना में बीएस-4 कार्बन और हाइड्रोकार्बन इमिशंस को कम रखता है। पेट्रोज इंजन में काफी मात्रा में मौजूद कार्बन मोनोऑक्‍साइड इमिशंस हवा में ऑक्सिजन को रोक सिरदर्द की दिक्‍कत पैदा करती है। वहीं डीजल में मौजूद नाइट्रोजन ऑक्‍साइड इमिशंस हमारे आंखों और नाक में जलन की समस्‍या पैदा करते हैं। इससे निकलने वाला धुंआ हमारे फेफड़ों के लिए बहुत घातक होता है। ऐसे में बीएस-4 इन सभी दिक्‍कतों को ध्‍यान में रखकर डेवलप किया गया है, ताकि हमारी और हमारे वातावरण की सेहत दुरुस्‍त रहे। आपको बता दें कि तमाम बड़ी ऑटो कंपनियों ने बीएस-4 मानकों के अनुरूप इंजन डेवलप कर लिए हैं और पुराने मॉडल की गाडि़यों को भी रीलॉन्‍च कर दिया है। आपको बता दें कि भारत स्‍टेज के मानक यूरो-4 और यूरो-6 की तरह ही हैं।


·       बीएस मानक को सेंट्रल पॉल्‍यूशन कंट्रोल बोर्ड (सीपीसीबी) तय करता है।
·       इस मानके के तहत धुएं से होने वाले प्रदूषण को कंट्रोल किया जाता है।
·       प्रदूषण की वैश्विक समस्‍या को खत्‍म करने के लिए बीएस-4 व 6 काफी उपयोगी हैं।
·       ऑयल रिफाइनरीज तेल की गुणवत्‍ता में सुधार लाएंगी।
·       बीएस अपग्रेड होने से ईंधन से होने वाले प्रदूषण पर रोक लगती है।
·       बीएस-3 से उल्‍टी, सिरदर्द, आंख व नाक में जलन और फेफड़ों की समस्‍या पैदा होती है।
·       बीएस-4 से माइलेज और हवा की शुद्धता दोनों लाभ प्राप्‍त होता है।
·       बीएव-6 से डीजल कारों से 68 प्रतिशत और पेट्रोल कारों से 25 प्रतिशत नाइट्रोजन ऑक्‍साइड उत्‍सर्जन कम होगा।
·       नई डीजल कारों से पीएम के उत्‍सर्जन पर 80 से 90 प्रतिशत की रोक लगेगी।
·       बीएस-4 मानक वाले वाहनें की हेड लाइट (ओएचओ) हमेंशा चालू रहती है, जिससे दुर्घटनाओं पर भी विराम लगा है।
·       बीएस-6 वाहन ग्‍लो‍बल वार्मिंग जैसी समस्‍या से भी लड़ने में सहयोग देंगे।
·       चीन समेत यूरोपीय देश प्रदूषण से जंग छेड़ यूरो-5 स्टैंडर्ड को अपना चुके हैं। वहीं भारत अब इसके अगले स्‍तर बीएस-6 पर काम कर रहा है।

बीएस-IV है क्‍यों जरूरी
आज मानव और पर्यावरण से जुड़ी सबसे बड़ी समस्‍या प्रदूषण है। ऐसे में गाडि़यों से निकलने वाला धुंआ हमारे लिए घातक परिणाम पैदा कर रहा है। वाहनों के इंजन से निकलने वाला मोनोऑक्‍साइड, हाइड्रो कार्बन, नाइट्रोजन ऑक्‍साइड और पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) काफी घातक होते हैं। ऐसे में इंजन को अपग्रेड कर इन हानिकारक तत्‍वों से दुनिया को बचाया जा सकता है। आप बीएस-3 से बीएस-4 इंजन की तूलना करेंगे तो पाएंगे कि यह बीएस-3 के मुकाबले प्रदूषण को सीधे आधा तक कम कर देता है।
   

सुधार के समीकरण को समझें

पेट्रोल इंजन से उत्‍सर्जन (ग्राम/किमी)

                  सीओ        एचसी             एनओ             पीएम
बीएस-III
2.3
0.2
0.15
0
बीएस-IV
1.0
0.1
0.8
0


डीजल इंजन से उत्‍सर्जन (ग्राम/किमी)

                  सीओ        एचसी             एनओ             पीएम
बीएस-III
0.64
0
0.50
0.05
बीएस-IV
0.50
0
0.25
0.0025  


बीएस-4 और बीएस-6 के मानक

·       बीएस-4 जहां सल्‍फर 50 पीपीएम उत्‍सर्जित करता है, वहीं बीएस-6 केवल 10 पीपीएम ही सल्‍फर उत्‍सर्जित करेगा।
·       वाहनों के इंजन कंपोर्टमेंट में डीजल पार्टिकुलेट फिल्‍टर (डीपीएफ) लगे होने गैसों से कालिख अलग हो जाती है, पर भारत में इसके अनुकूल (60 डीसी) तापमान नहीं है। 
·       नाइट्रोजन ऑक्‍साइड जैसे प्रदूषक को कम करने के लिए एससीआर मॉडल का प्रयोग किया जाएगा।  
·       यदि बीएस-4 कार में बीएस-6 तेल डलवाते हैं तो सल्‍फर कम पैदा होगा और पार्टिकूलेट फिल्‍टर का स्‍तर गिरेगा। 
·       सल्‍फर लेवल कम होने से एसिड भी कम बनेगा और इंजन आयल की उम्र बढ़ेगी।
·       इंजन का परफॉर्मेंस अच्‍छा हो जाएगा।
·       बीएस-6 इंधन से वाहन का माइलेज बेहतर हो जाएगा।

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