जागरूकता ही मधुमेह से बचाएगी आपकी जान


डयबिटीज यानी मधुमेह आज एक आम बीमारी की तरह लोगों के रगों में घुलती जा रही है। हालात ऐसे हो गए हैं कि हर दो व्यक्ति में से एक इस मीठे जहर की चपेट में आ गया है। ऐसे में इस मर्ज से सिर्फ और सिर्फ जीवनशैली में बदलाव और आपकी जागरूकता ही आपको बचा सकती है। आइए 14 नवंबर को मनाए जाने वाले वर्ल्‍ड डायबिटीज डे के उपलक्ष्य पर इस बीमारी के बारे में हम और आप मिलकर समझें और अन्य को भी जागरूक करें ...

हमारा देश भारत भी दुनिया के अन्य देशों के साथ डायबिटीज से काफी प्रभावित है। भारत में ही आज मधुमेह के 7.2 करोड़ के करीब पीड़ित हैं। माना जा रहा है कि 2025 तक यह आंकड़ा 13.4 करोड़ तक पहुंच जाएगा। यदि विश्व की बात करें तो दुनिया में 42.5 करोड़ लोग आज डायबिटीज की चपेट में हैं। इससे यह तो समझ ही गए होंगे कि दुनिया में मधुमेह के सबसे अधिक मरीज भारत में ही हैं। इस बढ़ती बीमारी के दायरे को देखते हुए ही विश्व स्वास्थ्य संगठन 1991 से लोगों को जीवनशैली में आवश्यक बदलाव लाने के लिए जागरूक करती आ रही है। क्योंकि इस बीमारी को मात देना है तो सबसे पहले तो आपको अपनी जीवनशैली में बदलाव जाने की जरूरत होगी। 

डायबिटीज को कैसे पहचानें
लंबे वक्त तक आपके खून में शुगर लेवल ऊंचा रहने को ही डायबिटीज कहते हैं। शुरुआती लक्षण के तौर पर यूरिन (पेशाब) का बार-बार आना, अक्सर प्यास लगना, खाने के बाद भी भूख का लगे रहना, थकान और शरीर शिथिल पड़ना, जोड़ों में दर्द इत्यादि नजर आने लगते हैं। यह आनुवांशिक और प्राकृतिक कारणों से होती है। इसके दो प्रकार हैं। पहला टाइप-1 और दूसरा टाइप-2 डायबिटीज। टाइप टू डायबिटीज सामान्य तौर पर 90 प्रतिशत लोगों में पाई जाती है। जबकि टाइप-1 जन्म से ही होने के चलते रेयर है। जब शरीर के पैंक्रियाज में इंसुलिन का पहुंचना कम हो जाता है तो खून में ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाता है। इस स्थिति को डायबिटीज कहते हैं। बता दें कि इंसुलिन एक हार्मोन है जोकि पाचक ग्रंथि से बनता है। इसका काम शरीर में भोजन को ऊर्जा में बदलने का होता है।

इसे जरूर जाने
o   टाइप-1 के तहत इंसान के शरीर में इंसुलिन बनना या तो बंद हो जाता है या इंसुलिन का प्रभाव कम हो जाता है। ग्लूकोज की मात्रा बढ़ जाती है। इसमें खानपान का ख्याल रखना जरूरी होता है।
o   टाइप-2 में इंसुलिन कम बनता है। या फिर पेंक्रियाज अपना काम ठीक से नहीं करता। खराब जीवनशैली से उपजा यह मर्ज मोटापा या कम व्यायाम से होता है।

खतरे को पहचानें
मधुमेह का असर तत्काल नजर नहीं आता है। कुछ साल बाद ब्लड प्रेशर व शुगर को सामान्य रखने की जरूरत आन पड़ती है। इस पर नियंत्रण रखकर आंखों की रोशनी और मोतियाबिंद जैसी बीमारी से बच सकते हैं। यही नहीं एक उम्र के बाद यह दिल को भी प्रभावित करने लगती है। इससे बचने के लिए रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल और तनाव इन सबका ध्यान रखना जरूरी हो जाता है। डायबिटीज से हृदयघात, पैरालिसिस, संक्रमण और किडनी खराब होने का खतरा रहता है।  

ये उपाय अपनाएं 
o   सबसे पहले तो अपनी जीवनशैली को नियमित कीजिए। जीवन से आलस्यता और शिथिलता को निकाल फेंकिए।
o   हर रोज सुबह 45 मिनट व्यायाम और योग जरूर कीजिए। यह बससे कारगर कदम है डायबिटीज से बचने का।
o   डायबिटीज और हार्ट की दवा को कभी भी बंद नहीं करना चाहिए।
o   यदि आप 40 साल के हो गए हैं तो शुगर लेवल व लिपिड प्रोफाइल की जांच, किडनी फंक्शन टेस्ट, लिवर का टेस्ट, टीएमटी और रेटिना जांच जरूर करानी चाहिए।
o   मधुमेह रोगी रक्तचाप से बचने के लिए नियमित अंतराल पर कुछ जरूर खाते रहें।
o   पौष्टिक आहार लें और शरीर के वजन पर नियन्त्रण बनाएं।
o   तंबाकू और शराब का सेवन न करके डायबिटीज को नियन्त्रित किया जा सकता है।
o   ग्लूकोज का स्तर भोजन से पहले 100 और भोजन के बाद 125 से ज्यादा है तो सतर्क हो जाएं।
o   हर तीन महीने में एक बार भ्इ।1ब टेस्ट जरूर कराएं।
 


भारत सबसे अधिक प्रभावित
दुनिया के अन्य देशों की तुलना में हमारा देश भारत मधुमेह से सबसे अधिक प्रभावित है। आपको जानकर हैरत होगी कि जहां विश्व के अधिकतर देशों में डायबिटीज के पीड़ित 60 साल या उससे अधिक उम्र के हैं, वहीं भारत में 30 से 50 वर्ष के लोग इससे ज्यादा प्रभावित हैं। आप यह जानकर चैक जाएंगे कि भारत में 25 साल से कम उम्र के हर 4 युवा में से एक इस मर्ज की चपेट में है। वर्ष 2012 के आंकड़ों की बात करें तो डायबिटीज से विश्व में 15 लाख लोगों की मौत हो गई थी। आपको यह जानने की जरूरत है कि अभी भी दुनिया में होने वाली कुल मौतों में डायबिटीज सातवीं सबसे बड़ी वजह है। एक रिपोर्ट के अनुसार, अत्यधिक वजन से डायबिडीज का खतरा बढ़ जाता है। वहीं 10 फीसदी वजन कम कर लिया जाए तो इस बीमारी के लक्षणों से बचा जा सकता है।

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